
वाराणसी – रामनगर किले में एक अनोखा मंदिर है, जो वर्ष में केवल एक बार भक्तों के लिए खोला जाता है, और इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. सोमवार की सुबह से ही मंदिर में विराजमान दुर्लभ दक्षिण मुखी काले हनुमानजी के दर्शन करने के लिए लंबी कतार लग गई. भक्तों ने दर्शन कर इस पावन मौके का लाभ उठाया.

आम तौर पर हनुमान जी की प्रतिमा सिन्दूरी रंग की होती है, लेकिन रामनगर के हनुमान जी की प्रतिमा अद्वितीय रूप से काले रंग की है. साल भर भक्त इस अलौकिक प्रतिमा के दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं, और इस एक दिन का मौका मिलने पर लंबी कतार लगती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह भव्य प्रतिमा रामनगर किले की खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी और काशीराज परिवार ने इसे दक्षिणी छोर पर स्थापित किया था.
ऐसा माना जाता है कि यह प्रतिमा त्रेता युग से संबंधित है, जब प्रभु श्रीराम लंका पर विजय के लिए निकले थे. पौराणिक कथा के अनुसार, जब प्रभु श्रीराम समुद्र से रास्ता मांगने पहुंचे थे और समुद्र ने मना कर दिया था, तो श्रीराम ने धनुष पर बाण चढ़ाया था. प्रभु का यह बाण इतना शक्तिशाली था कि धरती हिल सकती थी.
इसे रोकने के लिए हनुमान जी घुटने के बल बैठ गए थे और बाण का प्रभाव इतना था कि हनुमान जी का रंग काला हो गया. यही कारण है कि रामनगर में हनुमान जी की यह अनोखी काली प्रतिमा स्थापित है.
मान्यता है कि भगवान श्रीराम खुद राज्याभिषेक के समय रामनगर आते हैं, और इसीलिए मंदिर का पट उसी दिन खोला जाता है. बाकी वर्ष यह मंदिर बंद रहता है, जिससे इसकी रहस्यमयी और दिव्य महिमा बनी रहती है.




