
वाराणसी: महिला बैंक अधिकारी और कमिश्नरेट पुलिस साइबर सेल की तत्परता ने ठगों के बढ़ते हौसले को नाकाम कर दिया. मामला साइबर ठगी से जुडा है जिसमें एचडीएफसी बैंक की महिला ब्रांच मैनेजर और साइबर सेल की सूझबूझ काम आई और एक रिटायर्ड अफसर के 39 लाख रुपये ठगी होने से बच गए. इस साहसिक और सतर्क कार्रवाई के लिए अपर पुलिस आयुक्त सरवन टी ने बैंक मैनेजर स्नेहा और साइबर सेल टीम को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
सेवानिवृत्त अधिकारी को सात नवंबर को एक फर्जी कॉल आई, जिसमें खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताते हुए ठग ने कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में आ गया है. डर के मारे पीड़ित ने ठगों की बात मान ली और 39 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए एचडीएफसी बैंक की आर्य महिला शाखा में पहुंचे.

इतनी बडी राशि निकालने पर हुआ संदेह
बैंक में ब्रांच मैनेजर स्नेहा ने जब इतनी बड़ी राशि निकालने और तुरंत ट्रांसफर करने की वजह पूछी तो पीड़ित हडबडा गए. उनके सकपकाने और बातों से महिला बैंक अधिकारी को संदेह हुआ. उन्होंने तुरंत साइबर सेल को सूचना दी. सूचना के बाद साइबर सेल के विराट सिंह मौके पर पहुंचे. पूछताछ में मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने तुरंत एसीपी (साइबर) विदुष सक्सेना को अवगत कराया. एसीपी स्वयं बैंक पहुंचे और कॉल करने वाले नंबर की जांच की. नंबर पर दिल्ली पुलिस का लोगो लगा था, लेकिन जिस खाते में पैसे ट्रांसफर करने को कहा जा रहा था, वह पटना के बंधन बैंक का था. इस खुलासे के साथ ही साइबर फ्रॉड की पोल खुल गई. समय रहते कार्रवाई से 39 लाख रुपये की ठगी टल गई और पीड़ित के खाते को सुरक्षित कर लिया गया.

पुलिस की अपील
इस पूरी घटना में ब्रांच मैनेजर की सतर्कता और साइबर पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया सराहनीय रही. अपर पुलिस आयुक्त सरवन टी ने कहा, “ऐसे सतर्क बैंक कर्मी और हमारी साइबर टीम ही आम जनता को ठगों से बचा सकते हैं. यह टीमवर्क का बेहतरीन उदाहरण है.” एसीपी विदुष सक्सेना ने लोगों से अपील की है कि पुलिस या कोई सरकारी एजेंसी कभी फोन पर पैसे मांगने या ट्रांसफर करने को नहीं कहती. ऐसी कोई कॉल आए तो तुरंत नजदीकी थाने या साइबर सेल (1930) पर सूचना दें. स्नेहा जैसी सतर्क बैंक कर्मियों की वजह से ही आज एक परिवार की जमा-पूंजी सुरक्षित रह सकी.




