
वाराणसीः_लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. चार दिवसीय इस पावन पर्व के अंतिम दिन, व्रत करने वाली महिलाओं ने 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत समाप्त किया. इस अवसर पर काशी के लगभग सभी घाटों, तालाब, सरोवरो पर आस्थावानों की भारी भीड़ उमड़ी. मंगलवार को तड़के व्रती महिलाएं सूप में फल-फूल और पूजा सामग्री लेकर पानी में उतरीं और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया.

हर ओर दिखा आस्था का सैलाब
25 अक्टूबर को नहाय-खाय से आरंभ हुए इस पर्व का समापन आज ऊषा अर्घ्य के साथ हुआ. सुबह 6:27 बजे तक अर्घ्य का शुभ मुहूर्त रहा. 36 घंटे का निर्जला उपवास पूर्ण कर व्रतियों ने सूर्य देव और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना की. इस पावन पूजा के लिए सूर्य को अर्घ्य देने भोर से ही जनपद के तालाबों, घाटों से लेकर सड़कों व गलियों तक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. इसके चलते कुछ स्थानों पर यातायात ठप भी हो गया जिसे काफी मशक्कत कर पुलिस ने सुचारू रूप से शुरू कराया.

छठ मइया और सूर्य देव के गूंजते रहे जयकारे
इसके पूर्व व्रती महिलाएं सुबह से ही कमर तक पानी में खड़ी होकर सूर्य देव के दर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रही थीं. सूर्योदय होते ही, 'कोसी' भरने वाली व्रतियों ने हाथ में सूप और अन्य पूजन सामग्री लेकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया. अर्घ्य देने के बाद, व्रतियों ने अपने परिजनों और परिचितों से आशीर्वाद लिया और प्रसाद ग्रहण कर अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत तोड़ा. इस दौरान जगह-जगह छठ मइया और सूर्य देव के जयकारे गूंजते रहे.




