
वाराणसी - कफ सिरप तस्करी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच 30 घंटे के बाद समाप्त हो गई. शुभम जायसवाल के घर पर ईडी की टीम ने हर कोने की गहनता से जांच की. पूजा घर से लेकर फाल सिलिंग और गमलों तक की पड़ताल की गई. शनिवार की दोपहर बाद ईडी की टीम बाहर निकली तो परिजनों ने भी राहत की सांस ली. ईडी की टीम शुभम जायसवाल के बादशाह बाग और प्रह्लाद घाट कायस्थ टोला स्थित घर पर पहुंची थी, जहां उन्होंने दो हजार करोड़ रुपये के कफ सिरप तस्करी मामले की जांच शुरू की. जांच अधिकारियों ने शुभम जायसवाल के अलावा दिवेश जायसवाल के खोजवां स्थित मकान और चार्टेड एकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल के अन्पूर्णा एन्क्लेव अपार्टमेंट में एक साथ छापेमारी की. यह कार्रवाई कई जगहों पर आधी रात तक चली. ईडी की टीम ने शुभम और दिवेश के घर के हर कोने की जांच की, जिसमें चावल की बोरी और किचन में रखे राशन के डिब्बे भी शामिल थे. उन्होंने पेड़-पौधों और गमलों को भी ध्यान से देखा. मकान की फाल सीलिंग और लाइटों की भी जांच की गई. दीवारों को ठोककर यह जानने का प्रयास किया गया कि कहीं तहखाना जैसी कोई संरचना तो नहीं है.
दूसरी ओर, वाराणसी की दवा मंडी में पिछले एक पखवारे से दहशत का माहौल है. प्रदेश के सबसे बड़े दवा व्यापारी संगठन, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गंभीर संकट से अवगत कराया है. संगठन ने बताया कि वाराणसी की सप्तसागर दवा मंडी सहित पूरे प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से पुलिस की लगातार छापेमारी के कारण 1.30 लाख वैद्य दवा व्यापारी भय के साए में जी रहे हैं. सामान्य व्यापार ठप होने की कगार पर है.
संगठन के अध्यक्ष दिवाकर सिंह और महामंत्री सुधीर अग्रवाल ने पत्र में स्पष्ट किया कि वे नशे की दवाओं के अवैध कारोबार के खिलाफ हैं, लेकिन बिना तकनीकी ज्ञान के पुलिस मनमाने ढंग से केस दर्ज कर निर्दोष व्यापारियों को जेल भेज रही है. वाराणसी में दवा व्यापारियों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. ईडी की जांच और पुलिस की छापेमारी ने व्यापारियों के मन में भय का माहौल पैदा कर दिया है. हालांकि मुख्य आरोपित अभी भी पकड़ से बाहर है.




