
वाराणसी: दहेज की लालच में पत्नी की हत्या कर उसके शव को छिपाने वाले अभियुक्त को अदालत ने कड़ी सजा सुनाई है. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-प्रथम) अवधेश कुमार की अदालत ने भदोही के औराई थाना क्षेत्र के भगतापुर गांव निवासी करिया उर्फ गरीब सोनकर को दस वर्ष की कठोर कैद और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी. मामले की पैरवी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) श्रवण कुमार रावत ने की.

कैसे हुआ पूरा मामला
प्रयागराज की रहने वाली नन्हकाइ देवी ने रोहनिया थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी सितारा देवी की शादी करिया सोनकर से हुई थी. शादी के कुछ समय बाद ही करिया और उसके घरवाले दहेज के लिए सितारा को प्रताड़ित करने लगे. आए दिन झगड़े और मानसिक उत्पीड़न से सितारा का जीवन दुखों से भर गया.
चार अप्रैल 2015 को नन्हकाइ देवी को सूचना मिली कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गई है और शव को छिपा दिया गया है. जब वे बेटी के ससुराल पहुंचीं तो वहां न तो सितारा मिली और न ही उसका पति. परिजनों ने मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई.

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फैसला
पुलिस ने जांच के बाद करिया सोनकर को आरोपित बनाया. मुकदमे के दौरान गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत ने माना कि आरोपी ने पत्नी की हत्या कर सबूत छिपाने की कोशिश की थी. करीब दस साल पुराने इस मामले में आखिरकार न्याय मिला और अदालत ने करिया सोनकर को दस साल कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

संदेश
अदालत के इस फैसले को समाज के लिए एक मजबूत संदेश माना जा रहा है कि दहेज की लालसा में अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. यह फैसला उन परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण है जो आज भी दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का सामना कर रहे हैं.





