
वाराणसी। हिन्दी यदि सुरक्षित रहेगी तो देश सुरक्षित रहेगा. यहीं नहीं हिन्दी पत्रकारिता भी जीवंत बनी रहेगी. यह बात हिन्दी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ नीरजा माधव ने कहीं. वे पराड़कर स्मृति भवन में पराड़कर जयंती पर स्वातंत्र्यपूर्व हिंदी पत्रकारिता के युगपुरुष संपादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराड़कर जी की जयंती पर सोमवार को ’पराड़कर युग से डिजिटल युग तक: पत्रकारिता के मूल्य और बदलाव’ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा को बचाए जाने के साथ ही उसके साथ किये जा रहे खिलवाड़ के प्रति सजग रहना जरुरी है. इसके लिए आवश्यक है कि पत्रकार अपने भाषाई अधिकारों का कर्तव्यबोध के साथ प्रयोग करें, ताकि हिन्दी को बचाया जा सके. उन्होंने सचेत करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा नहीं बची तो पत्रकारिता भी समाप्त हो जायेगी.

हिन्दी पत्रकारिता चिंता की नहीं चिंतन का विषय
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान, काशी विद्यापीठ के निदेशक डॉ॰ नागेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मौजूदा दौर में हिन्दी पत्रकारिता चिंता की नहीं चिंतन का विषय है. हिन्दी पत्रकारिता को शीर्ष स्थान प्रदान करने वाले बाबू विष्णु राव पराड़कर के सन्दर्भ में नयी पीढ़ी को जानकारी युक्त करने की आवश्यकता है. यह अचरज भरा है कि पराड़कर जी के नाम पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अथवा काशी विद्यापीठ में कोई पीठ अभी तक स्थापित नहीं है. इसके लिए पहल की आवश्यकता है.
प्रखर समाजवादी व पत्रकार विजय नारायण सिंह ने भी हिन्दी भाषा की वकालत की। अंग्रेजी के बढ़ते वर्चस्व से सावधान रहने की आवश्यकता पर बल दिया. डॉ कवीन्द्र नारायण ने कहा कि पत्रकारिता में हो रहे क्षरण की दिशा में सकारात्मक चिंतन की जरूरत है. सम्पादकाचार्य पराड़कर का स्मरण करते हुए डा अत्रि भारद्वाज, योगेश कुमार गुप्त, राजनाथ तिवारी, डा बेनी माधव मिश्र, एके लारी ने अपने विचार व्यक्त किये. अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष अरुण मिश्र ने की. महामंत्री जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया. संचालन वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु उपाध्याय तथा धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण तिवारी ने किया. इस मौके पर कोषाध्यक्ष डॉ जयप्रकाश श्रीवास्तव, अखिलेश मिश्र, कैलाश यादव, सुनील शुक्ला, अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, आलोक मालवीय, आनन्द कुमार मौर्य, एमडी जावेद, उमेश गुप्ता, विजय शंकर गुप्ता, राजेन्द्र यादव, मोहम्मद अशफाक सिद्दीकी, डा॰ जिनेश कुमार, राममिलन लाल श्रीवास्तव, मनोज कुमार राय, श्रीधर त्रिपाठी, मुन्ना लाल साहनी, आशुतोष पाण्डेय आदि मौजूद थे.




