
वाराणसी - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग स्थित ट्रांसलेशनल नैनोमेडिसिन फॉर थेरेप्यूटिक अप्लीकेशन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है. टीम ने सूजन से संबंधित बीमारियों के उपचार एवं प्रबंधन के लिए एक अभिनव पॉलिमरिक नैनोमेडिसिन विकसित की है, जिसे वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते स्वास्थ्य संकट के समाधान की दिशा में आशाजनक कदम माना जा रहा है.
सूजन संबंधी बीमारियाँ विश्वभर में सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती हैं. दीर्घकालिक सूजन (क्रॉनिक इंफ्लेमेशन) रूमेटाइड आर्थराइटिस, इंफ्लेमेट्री बाउल डिजीज, सोरायसिस और सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमैटोसस जैसी गंभीर स्थितियों की प्रमुख वजह है. यदि इनका उपचार न किया जाए तो यह ऊतकों को नुकसान, अंगों की कार्यक्षमता में कमी, और कई बार बहु-अंग विफलता जैसी स्थितियाँ पैदा कर सकती हैं, जिससे मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है.

प्रयोगों में दिखाई अत्यधिक प्रभावशीलता
इसके अतिरिक्त, प्रणालीगत सूजन (सिस्टमिक इंफ्लेमेशन) हृदय रोगों, कई प्रकार के कैंसर, मधुमेह, गुर्दा रोग, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज, ऑटोइम्यून बीमारियों और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. सूजन के कारणों की सटीक पहचान अत्यंत जटिल होती है, क्योंकि ये बाहरी कारकों (जैविक या रासायनिक) या आंतरिक कारणों (जैसे आनुवंशिक परिवर्तन) से उत्पन्न हो सकती है. ऐसे रोगियों में अक्सर सूजन संबंधी बायोमार्कर्स का स्तर अत्यधिक पाया जाता है, जो प्रभावी उपचारों की आवश्यकता को और अधिक रेखांकित करता है.
इसी महत्वपूर्ण आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, आईआईटी (बीएचयू) के प्रो. प्रदीप पाईक के नेतृत्व में शोध दल ने एक पॉलिमरिक नैनोमेडिसिन विकसित की है, जिसने प्रयोगों में अत्यधिक प्रभावशीलता दिखायी है. प्रो. पाईक के अनुसार यह नैनोमेडिसिन बहुत कम मात्रा में ही उच्च चिकित्सकीय प्रभाव प्रदान करती है, इम्यून-संवेदनशील है और सूजन से संबंधित कई तरह के विकारों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है. यह रूमेटाइड आर्थराइटिस और सिस्टमिक इंफ्लेमेशन जैसी तीव्र सूजन स्थितियों में एक प्रभावी वैकल्पिक उपचार साबित हो सकती है तथा हृदय संबंधी जटिलताओं, कैंसर, मधुमेह, गुर्दे के रोग, फैटी लिवर, ऑटोइम्यून और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों में भी सुरक्षा प्रदर्शित करती है.

नवाचार को मिला GYTI अप्रिशिएशन अवॉर्ड 2024
इस प्रभावशाली शोध कार्य के लिए परियोजना की प्रमुख सहयोगी एवं पीएच.डी. शोधार्थी दिव्या पारीक को गांधियन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (GYTI) अप्रिशिएशन अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया है. इस पुरस्कार की घोषणा 12 नवंबर 2025 को की गई. नैनोमेडिसिन की खोज एवं विकास में उनका योगदान इस राष्ट्रीय सम्मान का प्रमुख आधार रहा. इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि यह उपलब्धि संस्थान के समाजोपयोगी ट्रांसलेशनल रिसर्च को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि सूजन संबंधी व्यापक रोगों के उपचार की क्षमता वाली पॉलिमरिक नैनोमेडिसिन का विकास देश एवं विश्व के प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कदम है. उन्होंने शोध दल को उनकी समर्पित मेहनत और उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य के लिए बधाई दी.




