Varanasi : महादेव की नगरी काशी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिव्य और भव्य रंग में रंग गई है. इस बार काशी विश्वनाथ धाम में अद्भुत और अलौकिक परंपरा निभाई जाएगी. जन्म के 3 घंटे बाद लड्डू गोपाल स्वयं बाबा विश्वनाथ के मंगल स्वरूप के दर्शन करेंगे.विशेष परंपरा के तहत, बाबा विश्वनाथ चांदी की पानी से भरी थाल में श्रीकृष्ण के प्रतिबिंब के दर्शन करेंगे, ताकि बालकृष्ण को किसी प्रकार की नजर न लगे. इसके बाद 3 बजे मंगला आरती में बाबा और कान्हा एक साथ भक्तों को दर्शन देंगे.
मंदिर में लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक होगा और यही प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाएगा. जन्मोत्सव के बाद लड्डू गोपाल को सत्यनारायण मंदिर में रात्रि विश्राम कराया जाएगा. वहीं, धाम परिसर में भव्य शोभायात्रा, महाअभिषेक और झूला झुलाने की परंपरा भी निभाई जाएगी.
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा के मुताबिक यह परंपरा पुराणों से प्रेरित है. कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तब भगवान शिव उनके दर्शन के लिए पहुंचे थे. माता यशोदा ने बालकृष्ण को भयभीत न करने के लिए शिव से पहले कान्हा को जल में उनका प्रतिबिंब दिखाने का आग्रह किया था. इसी परंपरा को निभाते हुए काशी में यह अनूठा आयोजन किया जा रहा है.
जन्माष्टमी महोत्सव 16 अगस्त की रात्रि 11 बजे से शुरू होकर 17 अगस्त की सुबह 12:05 बजे तक चलेगा. इसके बाद सुबह 3 बजे मंगला आरती में लाखों श्रद्धालु बाबा और कान्हा के एक साथ दर्शन कर सकेंगे. देश-विदेश के भक्त ऑनलाइन दर्शन का भी लाभ उठा पाएंगे.
इसके अलावा, श्री काशी विश्वनाथ धाम से श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा के लिए विशेष उपहार भी भेजे गए. इनमें कान्हा की पोशाकें, लड्डू, फल, मिठाइयां और धाम की मंगल वस्तुएं शामिल हैं. यह अद्भुत अनुष्ठान काशी और मथुरा की आध्यात्मिक परंपराओं को जोड़ने वाला एक जीवंत उदाहरण है.पूरे धाम में “हर हर महादेव” और “जय श्री कृष्ण” के जयघोष गूंज रहे हैं. भक्तों के लिए यह एक अद्वितीय अवसर है जब शिव और विष्णु अवतार एक ही मंच पर एक साथ दर्शन देंगे.