वाराणसी: इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पितरों की शांति और तर्पण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है . खास बात यह है कि लगभग 100 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष के दौरान चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण दोनों एक ही पक्ष में पड़ेंगे .
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार, पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से होगी, जबकि प्रतिपदा का श्राद्ध 8 सितंबर को किया जाएगा . इस बार नवमी तिथि की हानि हो रही है . पंचमी और षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर को होगा .
7 सितंबर को लगेगा चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण 7 सितंबर को रात 9:57 बजे शुरू होकर 8 सितंबर को सुबह 1:27 बजे समाप्त होगा. ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होगा. हालांकि श्राद्ध और तर्पण के कर्म ग्रहण के दौरान भी किए जा सकते हैं, लेकिन चंद्रग्रहण के सूतक से पहले इन्हें संपन्न कर लेना शुभ माना गया है .
इसके अलावा, पितृ विसर्जन के दिन 21 सितंबर को सूर्यग्रहण लगेगा . यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका ज्योतिषीय महत्व रहेगा. यह कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा और 22 सितंबर को सुबह 3:24 बजे समाप्त होगा.
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष में ग्रहण का होना धार्मिक कर्मकांडों के फल को और प्रभावशाली बनाता है . इस बार चंद्र और सूर्य ग्रहण का संयोग पितरों की शांति और तर्पण के महत्व को और बढ़ा देगा .