
वाराणसी : अब सनातन धर्म और संस्कृति के खिलाफ की गई किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी, धर्मग्रंथों का अपमान या उन्हें जलाने जैसा घोर कृत्य करने वालों को सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर कड़ा विरोध झेलना पड़ेगा. संत-महंत और कथावाचकों ने तय किया है कि ऐसे लोगों के बहिष्कार का आंदोलन अब गांव-गांव तक पहुंचेगा. अखिल भारतीय व्यास संघ ने घोषणा की है कि कथावाचक अपनी कथा के मंच से लोगों को “रामकसम” दिलाएंगे कि वे धर्मविरोधी व्यक्तियों और नेताओं का साथ नहीं देंगे.

शुक्रवार को पातालपुरी मठ नरहरिपुरा में आयोजित अखिल भारतीय व्यास संघ के अधिवेशन में संतों और व्यासों ने धर्मरक्षा के लिए कई बड़े निर्णय लिए. अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष जगद्गुरु बालकदेवाचार्य महाराज ने कहा कि व्यास केवल कथा तक सीमित न रहें, बल्कि कथा के माध्यम से लोगों को सनातन संस्कृति का रक्षक बनाएं. उन्होंने कहा कि तर्क, विज्ञान और मानवता की कसौटी पर सिर्फ सनातन ही खरा उतरता है. इस अवसर पर पं. दिनेश त्रिपाठी, डॉ. मदन मोहन मिश्र, पं. शिवाकांत मिश्र, महंत श्रवणदास, महंत अवध किशोर दास, महंत राघव दास और पं. गंगा सागर पांडेय सहित कई संत-महंत उपस्थित रहे.

अधिवेशन में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि हर गांव में संत, व्यास और धर्माचार्य पहुंचेंगे. गांव-गांव रामपाती भेजी जाएगी और घर-घर लोगों को यह कसम खिलाई जाएगी कि वे धर्मविरोधी और सनातन संस्कृति का अपमान करने वालों का साथ नहीं देंगे। इसके अलावा, संत समाज ने मतांतरण पर रोक के लिए भी ठोस रणनीति बनाई. निर्णय लिया गया कि दलित बस्तियों में व्यास पीठ स्थापित कर संस्कृति और संस्कार की शिक्षा दी जाएगी और लोगों को मतांतरण कराने वालों की सच्चाई बताई जाएगी.
गो-तस्करी और इस काम में लिप्त पुलिसवालों पर भी अधिवेशन में तीखा रुख अपनाया गया. प्रस्ताव रखा गया कि अधर्म से धन कमाने वाले ऐसे पुलिसकर्मियों की कठोर कार्रवाई के साथ पूरी संपत्ति जब्त की जाए. संतों ने यह भी निर्णय लिया कि प्रधानमंत्री से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही दिल्ली जाएगा और धर्म व संस्कृति के खिलाफ हो रहे घटनाक्रमों की जानकारी देगा. संत समाज का कहना है कि अब समय आ गया है कि कथा सिर्फ धार्मिक आयोजन तक सीमित न रहे, बल्कि रामराज्य की तैयारी और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हर घर-घर तक पहुंचे.





