
वाराणसी - बॉलीवुड की प्रख्यात अभिनेत्री एवं बीजेपी की सांसद कंगना रनौत ने सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई. इस दौरान गेट नम्बर चार पर फैन्स का अभिवादन स्वीकार करते हुए गन्तव्य को रवाना हो गईं. अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की जानकारी देने पर उन्होंने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने बाबा दरबार में दर्शन पूजन करने के बाद काशी के विकास को लेकर पीएम के प्रयासों की साराहना की.
उन्होंने कहा कि जैसा काशी हमने अपने पुराने ग्रंथों में पढ़ा है, वैसे ही हमारी काशी मैया दिख रही हैं. प्रधानमंत्री भी कहते हैं कि काशी ने मुझे गोद लिया है. काशी मैया के आंचल में हम भी आए हैं. उन्होंने दिव्य भव्य काशी के बारे में अपनी राय व्यक्त की. अयोध्या में राम दरबार के ध्वजारोहण को लेकर भी उन्होंने इसे बड़ा आयोजन बताया. कंगना ने कहा कि यहां पर सफाई का प्रबंध काफी अच्छा है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी बन गया है. उन्होंने कहा कि हम हमने गलियों में भ्रमण किया देखा वह भी अब पक्के हो गए हैं. उन्होंने कहा कि हम यह चाहते हैं कि बाबा का मंदिर इस तरह हूं जैसे पहले हुआ करता था.

उन्होंने कहा कि राम राज्य है. पूरा देश देखना चाहता है कि कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां ध्वजा रोहण करेंगे. जो ग्रंथों में रामराज्य और अमृतकाल था. वह आज हम प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में देख रहे हैं. कंगना ने कहा कि हम हर धर्म का सम्मान करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि काशी में भी बाबा का जैसा मंदिर था वैसा हमें बनाकर मिले. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का विशेष संदेश है कि हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए लेकिन जिसका मंदिर जहां पर है वहां जरूर बनना चाहिए. प्रयागराज से सीधे वाराणसी पहुंचने के बाद कंगना ने सबसे पहले शहर की संकरी गलियों का भ्रमण किया. काशी की प्राचीनता, आध्यात्मिक वातावरण और सांस्कृतिक धरोहर से प्रभावित कंगना ने कहा कि यह अनुभव उनके लिए बेहद दिव्य और अविस्मरणीय है.
काशी की लोक-जीवन परंपरा का अनुभव लेते हुए कंगना स्थानीय लोगों से मिलीं और बिना किसी विशेष व्यवस्था के सामान्य श्रद्धालुओं की तरह ही बाबा काल भैरव के दर्शन के लिए लाइन में खड़ी हुईं. दर्शन के लिए वे स्वयं पूजन सामग्री खरीदकर लाई थीं.
बाबा काल भैरव जो काशी के कोतवाल माने जाते हैं उनके दरबार में पहुँचकर कंगना ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और काशी की शांति तथा देश की समृद्धि की कामना की. उन्होंने कहा कि काशी की धरती पर आकर उन्हें अत्यंत ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव हुआ है.




