
वाराणसी - युवाओं में मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति ज्यादा बढ़ रही है. हालांकि अब हर उम्र के लोग इससे ग्रसित हो रहे हैं. 18 से 30 साल के लोग ज्यादा परेशाल झेल रहे हैं. इनमें पढ़ाई करने वाले छात्र, नौकरी करने वाले और कॅरियर को लेकर चिंतित युवाओं का प्रतिशत ज्यादा है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इसकी जानकारी टेलीमानस हेल्पलाइन पर आए कॉल से मिल रही है. अगर बात वाराणसी समेत पूर्वांचल की करें तो अवसाद के मामले तेजी से पैर पसार रहे हैं. वाराणसी सेंटर से 25 जिलों के लोगों को अवसाद में आने के बाद परामर्श दिया जा रहा है. हर महीने औसतन 5,100 फोन कॉल आ रहे हैं, जिनकी काउंसिलिंग कर उन्हें अवसाद से बचाया जा रहा है.
भगदौड भरी जिंदगी में इस साल अब तक 1.46 लाख से अधिक लोग टेलीमानस से मदद मांग चुके हैं. अक्टूबर तक 51,143 कॉल आई हैं. अधिकतर लोग उदासी, निराशा, थकान और हिंसक स्वभाव के कारण फोन कर रहे हैं. चिंता, पैनिक अटैक और फोबिया के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. इनकी संख्या 22,000 से अधिक है. 21-30 वर्ष के युवा कॅरिअर, नौकरी के टारगेट, आर्थिक दबाव और रिश्तों में तनाव के शिकार हैं. इन्होंने अवसाद, उदासी और निराशा की शिकायत की है.
इनके कॉल लगभग 50 प्रतिशत हैं. इस उम्र के किशोर अधिकतर पढ़ाई और दोस्ती को लेकर चिंतित हैं. इन्हें बोर्ड परीक्षा, पढ़ाई का दबाव, सोशल मीडिया से जुड़े रिश्तों के टूटने का डर और स्कूल की प्रतिस्पर्धा को लेकर तनाव है. इनकी कॉल 13 प्रतिशत हैं.
टेलीमानस के पीएसडब्ल्यू पंकज यादव बताते हैं कि हेल्पलाइन पर 24 घंटे काउंसिलिंग की जा रही है. कोविड के बाद इस प्रकार के मरीज़ों के इलाज के लिए फरवरी 2023 में जिले में इसे स्थापित किया गया था. यूपी में वाराणसी, गोरखपुर, बरेली और आगरा में टेलीमानस के चार सेंटर बनाए गए हैं. इसकी मॉनिटरिंग लखनऊ केजीएमयू से होती है. वाराणसी सेंटर में कुल 11 काउंसलर शिफ्टवार काम कर रहे हैं. लखनऊ से हर अंतराल पर यहां की रिपोर्ट मंगाई जाती है.




