
Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर को बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि मुख्य रूप से दैत्य महिषासुर का वध करने और माता दुर्गा की विजय का उत्सव है, जो शक्ति, साहस और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. जिसमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. ये बड़ा ही पावन पर्व है जो भक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक त्योहार भी है. जहां गरबा और डांडिया का भी उत्सव देखने को मिलता है. जिसमें लोग खूब सज-सवरकर नाज गाना करते है.

नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी जी का होता है. ऐसी मान्यता है कि जिनकी शादी नहीं होती है वो मां कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं तो उनकी शादी होने की जल्द ही मुहूर्त बन जाता है. हालांकि, माता रानी की भक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ करने से सभी बिगड़े काम-काज बन जाते है. क्योंकि माता रानी सिर्फ भक्तों के भाव की भूखी है. उन्हें तो सिर्फ अपने भक्तों से सच्ची भक्ती की आस होती है.

नवरात्रि का छठा दिन देवी मां कात्यायनी जी को को समर्पित होता है, जो उग्र शक्ति और साहस से परिपूर्ण माता कात्यायनी जी का सवारी सिंह है. उन्हें ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में पूरा संसार पूजता है. देवी कात्यायनी की पूजा करने के दौरान उन्हें शहद और पीले फूल अर्पित किए जाते हैं. जिससे माता रानी अपने भक्तों पर सदा कृपा बनाए रखती हैं.


सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और खुद को गंगाजल से शुद्ध करें.
भोग और विशेष उपाय
मां को शहद का भोग लगाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, इससे देवी प्रसन्न होती हैं। पीला फूल, पीले वस्त्र और हल्दी की तीन गांठ अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं.
मंत्र जाप
'सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।। नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।' मंत्र का शुद्ध मन से जाप करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं.

मां कात्यायनी की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए देवी भगवती की कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर मां ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया और फिर महिषासुर का वध किया, जिसके चलते देवी मां कात्यायनी के नाम से पूजी जाने लगी. बाद में, गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए कात्यायनी देवी की पूजा की थी.




