आजादी के पूर्व से ही बनारस हिन्दी पत्रकारिता का केन्द्र रहा. स्वतंत्रता मिलने तक यहां से निकलने वाले कई दैनिक अखबार पाठकों में अपनी जगह बना चुके थे. बीते 24 घंटे की खबरें अगले दिन अखबारों में आती और पाठकों की जिज्ञासा शांत करने का प्रयास करती. इसी दौरान 1950 में भगवानदास अरोड़ा जी ने ‘गांडीव’ की शुरुआत एक सांध्यकालीनअखबार के रूप में की. जिसने पाठकों को उसी दिन की खबरें उसी दिन पढ़ने का अवसर मुहैया कराया. ‘गांडीव’ पत्रकारिता में ब्रेकिंगन्यूज का कान्सेप्ट ले कर आया और अपनी निष्पक्ष और अचूक मार करने वाली पत्रकारिता के जरिये लोकप्रियता की बुलंदिया हासिल की. फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया का दौर आया जहां खबरों को तुरंत आडियो वाीडियो फारमेट में लोगों तक पहुंचाने का सिलसिला शुरू हुआ. अबपाठकों के हाथों से अखबार छूटता दिखा और इसके कुछ समय बाद ही वो दौर भी आया जिसमेंपाठकों के पास टीवी के सामने बैठ कर खबरे देखने का भी समय नहीं था. पर अब उसके हाथों में स्मार्ट फोन था. इसी समय 2024 में ‘जेसी मीडिया’ ने 70 साल के गांडीव का डिजीटलाइजेशन किया जिसका वर्तमान रूप ‘गांडीव डिजिटल’ है. ‘गांडीव डिजिटल’ नये कलेवरऔर पुराने तेवर के साथ अपने पाठकों की वो आवाज है जो सामाजिक सरोकारों और पत्राकारिता के उत्कृष्ट मानदंडों के प्रति अपनी जवाबदेही भी मानता है.
हमारी टीम गांडीव डिजिटल की प्रमोटरकंपनी जेसी मीडिया पत्रकारों द्वारा संचालित है. जिसमें विभिन्न संचार माध्यमों केअनुभवी पत्रकार शामिल हैं. इनके अलावा गांडीव डिजिटल के पास रिपोटर्स और संवाददाताओंका पूरा एक संगठित नेटवर्क है जो हर खबर पर पैनी नजर रखते है. जिनके जरिये हम सही सूचनाऔर तथ्यात्मक खबरें पाठकों तक पहुंचाते है.