जन्माष्टमी के अगले दिन वाराणसी का नहवानीपुर (जगदीशपुर) गांव भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो गया. विश्व प्रसिद्ध संत बाबा अड़गड़ानंद जी महाराज के परम शिष्य एवं प्रतिनिधि नारद महाराज के आगमन पर करीब 50 हजार से अधिक श्रद्धालु आश्रम में एकत्र हुए. सुबह से ही गांव और आसपास के जिलों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों से भी भक्तजन पहुंचने लगे.
श्रीकृष्ण जीवन से जुड़ी प्रेरणा
अपने प्रवचन में नारद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और जीवन शिक्षाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी केवल उत्सव नहीं बल्कि धर्म, नीति और कर्तव्य निभाने का मार्ग है. भक्ति, सेवा और सदाचार ही जीवन की सच्ची सफलता है. उनके प्रवचनों को सुनकर भक्तजन भाव-विभोर हो उठे और ध्यानमग्न होकर मंत्रमुग्ध हो गए.
भव्य स्वागत और अनुशासित आयोजन
नारद महाराज के स्वागत में महिलाओं ने मंगलगीत गाए और युवाओं ने जोरदार जयकारे लगाए. भक्तों ने उनसे आशीर्वाद लेकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की. भीड़ को देखते हुए स्थानीय समिति और ग्रामीणों ने भोजन-प्रसाद व जलपान की व्यवस्था की, जिससे किसी को असुविधा न हो. वहीं, पुलिस-प्रशासन की चाक-चौबंद सुरक्षा से पूरा कार्यक्रम शांति और अनुशासन के साथ संपन्न हुआ.
ग्रामीणों के लिए सौभाग्य का क्षण
गांव वालों ने इसे अपने जीवन का सौभाग्य बताया. उनका कहना है कि हर वर्ष जन्माष्टमी के अगले दिन नारद महाराज का यहां आना पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है और भक्तों के लिए अविस्मरणीय अनुभव लेकर आता है.