
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने कटिहार में एक जनसभा को संबोधित किया. इस सभा के दौरान उन्होंने जनता को लुभाने के लिए कई बड़ी योजनाओं का ऐलान भी किया. इस मौके पर उन्होंने एक बड़ी घोषणा कर कहा कि, अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम को "कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा." फिर क्या तेजस्वी के इसी बयान ने बिहार की सियासत को और भी तेज कर दिया.

जहां कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शायराना अंदाज में कटाक्ष कर कहा कि, "दिल बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख्याल काफी अच्छा है." अपने शायर में उन्होंने तेजस्वी को ये याद दिलाने की कोशिश की कि, मुख्यमंत्री जनता बनाती है, जबकि उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार उनकी पार्टी महागठबंधन ने बनाया है. इसी के आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनना और सीएम बनने में बहुत फर्क हैं. इतना ही नहीं बातों-बातों में प्रमोद कृष्णम ने ये तक कह दिया कि, "अगर तेजस्वी यादव सीएम बनते हैं तो वो बिहार में शरिया कानून जरूर लागू कर देंगे."

दरअसल, तेजस्वी यादव ने कटिहार के हालात का हवाला देते हुए सीएम नीतीश पर आरोप लगाया और कहा कि यहां पढ़ाई और दवाई दोनों ही रद्दी है, न ही रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं. इन सब का जिम्मेदार बिहार सीएम है. क्योंकि अपने कार्यकाल के समय उन्होंने बिहार विकास पर ध्यान देने के बजाय फिजूल कामों में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाने का काम किया है. इसके चलते आज बिहार का विकास, रोजगार, शिक्षा ये सब ठप्प हो गया है. लेकिन इस बिहार चुनाव में राजद की सरकार बनते ही इन सभी समस्याओं पर फोकस होगा, ताकि बिहार अपने विकास से किसी भी हाल में वंचित न रह सकें. यही कारण है कि लालू के लाल तेजस्वी ने कटिहार की जनता से अपील कर कहा वे महागठबंधन को जरूर समर्थन दें. नीतीश को हटाकर अब बिहार में बदलाव करना ही होगा. क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नीतियों और कानूनों से बिहार की जनता को काफी नुकसान पहुंच रहा है.

गौरतलब है कि, तेजस्वी के इस बयान से पहले ही राजद के एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब ने भी एक विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने, तो केंद्र द्वारा लाए गए वक्फ समेत सभी बिल को फाड़कर फेंक दिया जाएगा. इस बयान के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा था कि, कोई भी मुख्यमंत्री केंद्र के कानून को कैसे रद्द कर सकता है.




