
वाराणसी - महादेव की नगरी काशी में पक्के महाल के मीरघाट स्थित मां विशालाक्षी का 12 साल बाद कुंभाभिषेक त्रिवेणी के पवित्र जल से होगा. 29 नवंबर से शुरू हो रहे तीन दिवसीय महानुष्ठान की तैयारी अंतिम चरण में है. पहली बार मंदिर में मां के साथ कांची शक्तिपीठ की मां कामाक्षी और मदुरै पीठ की मां मीनाक्षी की प्रतिमा भी स्थापित होगी. गणेश जी और कार्तिकेय की भी प्रतिमा लगेगी. मंदिर के शिखर पर छह स्वर्ण जड़ित कलश लगाए जाएंगे. दक्षिण और काशी के 15 वैदिक विद्वान पूजा कराएंगे. वहीं, गुरुवार को गणेश पूजा के साथ अनुष्ठान की औपचारिक शुरुआत हो गई. श्रीकाशी नाटकोटई नगरम् क्षेत्रम मैनेजिंग सोसाइटी से संचालित 51 शक्तिपीठों में एक मां विशालाक्षी मंदिर का कुंभाभिषेक विविध-विधान से होगा. सोसाइटी के उपाध्यक्ष मुतइया, सचिव कदीरेसन और संयुक्त सचिव डॉ. अन्ना मलेय ने बताया कि कुंभाभिषेक की तैयारी पूरी हो चुकी है. 29 नवंबर से मुख्य अनुष्ठान शुरू होगा.
कामाक्षी, मीनाक्षी, गणपति और कार्तिकेय की प्रतिमाएं लगेंगी
तमिलनाडु के प्रख्यात वैदिक विद्वान डॉ. शिवश्री के पिचई गुरुकल और शिवश्री एम सोमसुंदर गुरुकल के मुख्य आचार्यत्व में 15 वैदिक विद्वान पूजन करवाएंगे. चार यज्ञानुष्ठान होगा. अंतिम दिन एक दिसंबर को कुंभाभिषेक होगा. मुतइया ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में मां विशालाक्षी के साथ ढाई फीट की कामाक्षी, मीनाक्षी की प्रतिमा और डेढ़ फीट के गणपति और कार्तिकेय की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी. उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को मंदिर में सुबह गणेश पूजा हुई. शुक्रवार को नवग्रह व वास्तु पूजा व हवन होगा.
तीन माह में मंदिर की निखरीं कलाकृतियां
तमिलनाडु के प्रख्यात आर्किटेक्ट आड़े कलम की देखरेख में 10 कारीगरों ने तीन महीने में मंदिर की आभा को निखार दिया है. मुतइया ने बताया कि मंदिर के आकर्षक रंग-रोगन के साथ ही जीर्ण पत्थरों व छोटे-छोटे मूर्तियों को ठीक कर उन्हें वास्तविक स्वरूप दिया गया है. रंग-रोगन के लिए करीब 20 मजदूर भी लगाए गए थे.
मां विशालाक्षी मंदिर के शिखर पर लगने वाले छह स्वर्ण जड़ित कलश लगाए जाएंगे. मुतइया ने बताया कि यह कलश तमिलनाडु के कुंभकोणम् में तैयार किया गया है. वहां के कारीगरों ने करीब दो माह में तैयार किया है.




