


बता दें, 20 साल से आरजेडी जिस सपने को सच करने के लिए तरस रही है, उस सपने का बोझ अब तेजस्वी यादव के कंधों पर आ खड़ी है. ऐसे में ये सवाल जायज है कि, क्या RJD को इस बार अपना मुख्यमंत्री मिलेगा या नहीं. ये तो आने वाला बिहार चुनाव का नतीजा ही बताएगा कि, लालू की विरासत को तेजस्वी किस हद तक संभाल पाएंगे या फिर उनके हाथ से उनके पत्ते बिखर जाएंगे. हालांकि, तेजस्वी के सीएम चेहरे को लेकर उठ रहे सवालों के बीच उनके बड़े भाई तेज प्रताप एक बड़ा बयान दे बैठे हैं. जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेज प्रताप यादव ने कहा कि तेजस्वी छोटे भाई हैं. ऐसे में “जब तक हम वहां पर थे, तब तक हमने उनको आशीर्वाद दिया.
अब छोटे भाई हैं तो आशीर्वाद ही दे सकते हैं, सुदर्शन चक्र तो चला नहीं सकते. मुख्यमंत्री बनना, और न बनना यह सब तो जनता के हाथ में है. उसी के फैसले पर तेजस्वी यादव की चुनावी नईयां टिकी है. बता दें, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप दोनों ही चुनावी मैदान में हैं. तेजस्वी RJD के टिकट पर राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि इसी सीट से वो विधायक हैं. जबकि, तेज प्रताप जनशक्ति जनता दल के टिकट पर महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं जबकि वह हसनपुर विधानसभा सीट से वह विधायक हैं.

गजब की बात तो यह है कि, कांग्रेस पार्टी आनाकानी करने के बाद से आखिरकार इस बात पर राजी हो गई कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही बनेंगे. तेजस्वी को नेता मानना कांग्रेस के लिए मजबूरी और जरूरी दोनों ही है. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में बिहार में आरजेडी के साथ महागठबंधन में कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए 70 सीटें मिली थीं. लेकिन कांग्रेस की किस्मत का ताला खुलने की बजाय उसकी नईयां ही डूब गई थी. जी हां, वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी. इसकी तुलना में आरजेडी ने 144 सीटों पर लड़कर 75 सीटों पर अपनी जीत का परचम लहराया था. अब देखना यह होगा कि बिहार चुनाव में जीत हासिल करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे लालू के लाल तेजस्वी किस हद तक कामयाब हो पाते हैं.




