वाराणसीः बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने हरित ऊर्जा उत्पादन की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है. अब रेलवे की पटरियों के बीच से बिजली का उत्पादन संभव हो गया है. इसके लिए बरेका ने देश का पहला पोर्टेबल सोलर पैनल सिस्टम सक्रिय रेलवे ट्रैक पर लगाया है जिसका ट्रायल सफल रहा.
पायलट प्रोजेक्ट की खासियत
जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार के अनुसार, बरेका की कार्यशाला की लाइन नंबर 19 पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी डिजाइन से बने सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं. इन पैनलों को विशेष इंस्टॉलेशन तकनीक से ट्रैक के बीच फिट किया गया है.
इससे ट्रेन संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा. जरूरत पड़ने पर पैनलों को जल्दी हटाया जा सकता है. यह सिस्टम पहले से बरेका में मौजूद रूफटॉप सोलर पावर प्लांट के साथ मिलकर हरित ऊर्जा उत्पादन को और गति देगा.
चुनौतियां और समाधान
1. ट्रेन के कंपन से सुरक्षा – रबर माउंटिंग पैड का किया गया है उपयोग.
2. मजबूत फिक्सेशन – एपॉक्सी एडहेसिव से कंक्रीट स्लीपर पर इसे चिपकाया गया है.
3. इसकी सफाई, रखरखाव व्यवस्था आसान है.
4. तेजी से हटाने की सुविधा – चार SS एलन बोल्ट से इसे कुछ ही देर में हटाया जा सकता है.
संभावनाएं
बता दें कि भारतीय रेलवे का नेटवर्क लगभग 1.2 लाख किमी है. यदि यार्ड लाइनों पर इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो 3.21 लाख यूनिट प्रति वर्ष प्रति किमी तक बिजली उत्पादन संभव होगा. खास बात यह है कि इसके लिए जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं होगी, बल्कि रेल की पटरियों के बीच की खाली जगह का ही उपयोग किया जाएगा.
परियोजना की मुख्य तकनीकी झलक
ट्रैक लंबाई: 70 मीटर
क्षमता: 15 किलोवाट पीक (KWp)
पैनल संख्या: 28
पावर डेंसिटी: 220 KWp/किमी
ऊर्जा घनत्व: 880 यूनिट/किमी/दिन
सोलर पैनल की विशेषताएं
आकार: 2278×1133×30 मिमी
वजन: 31.83 किग्रा
दक्षता: 21.31%
144 हाफ कट मोनो क्रिस्टलाइन PERC बाइफेसियल सेल्स .
जंक्शन बॉक्स: IP 68, अधिकतम वोल्टेज: 1500 V .
भविष्य की ओर कदम
बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कहा कि यह प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाएगा. यह पहल न केवल सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम है, बल्कि आने वाले समय में रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का मजबूत मॉडल भी साबित होगा.