
वाराणसी - बीएचयू में पहली बार 500 आम उपाधिधारकों को भी स्वतंत्रता भवन में होने वाले मुख्य दीक्षांत समारोह में शामिल होने का मौका प्राप्त होगा. वहीं, इस बार बीएचयू ने चार गोल्ड मेडल की संख्या बढ़ा दी है. जबकि समारोह में मुख्य मंच से करीब 30-32 छात्रों को मेडल दिए जाएंगे. बीएचयू के 105वें दीक्षांत समारोह में पहली बार ऐसा भी होगा कि हर संकायों में उपाधियां और मेडल देने के लिए शहर के पद्म अवॉर्डियों, फंडिंग एजेंसियों और इंडस्ट्रीज से जुड़े खास मेहमानों को बुलाया जाएगा. पिछले कई साल से डीन-डायरेक्टर के ही स्तर पर संकायों में डिग्रियां बांट दी जाती थीं.
12 दिसंबर से होगा पांच दिवसीय दीक्षांत समारोह
12 दिसंबर से शुरू हो रहे पांच दिवसीय 105वें दीक्षांत के पहले दिन स्वतंत्रता भवन सभागार में 500 आम उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को बुलाया जा रहा है. इसके लिए हर एक संकाय से चुनिंदा पास आउट छात्रों का चयन किया जा रहा है. ये सभी मुख्य दीक्षांत समारोह में शामिल होने के बाद अपने-अपने संकायों की ओर से उपाधियां और पदक प्राप्त करने जाएंगे. बीएचयू में काफी समय से छात्रों की मांग रहती थी कि उन्हें भी मुख्य दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनाया जाए. इस बार 500 मेडल और 15 हजार उपाधियां दी जाएंगी. इसमें यूजी, पीजी, पीएचडी, एमफिल आदि कोर्स के विद्यार्थी शामिल होंगे. स्वतंत्रता भवन में होने वाले दीक्षांत समारोह के मुख्य कार्यक्रम के बाद 12, 13, 14, 15 और 16 दिसंबर को होने वाले समारोह में सभी 14 संकायों को मिलाकर करीब 500 छात्र-छात्राओं को गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल दिए जाएंगे. फिलहाल बीएचयू के अधिकारी मेडल पाने वाले उपाधिधारकों की सूची तैयार कर रहे हैं.
डाक और ई-मेल से भेजे जा रहे आमंत्रण
संकाय स्तर पर चल रही तैयारियों के मुताबिक सभी छात्रों को डिग्री, मेडल और प्राइज देने के लिए बीएचयू की फंडिंग एजेंसियों के निदेशक, पद्म अवाॅर्डी, शिक्षा जगत से जुड़े खास मेहमान आदि को डाक से आमंत्रण और मेल के जरिये ई-कार्ड भेजे जा रहे हैं. हर संकाय की ओर से एक विशिष्ट अतिथि और डीन मिलकर उपाधि और मेडल देंगे. बीएचयू का दीक्षांत समारोह के दिन कम है लेकिन अभी तक कुछ विभागों में पीएचडी वाइवा ही नहीं हो पाया है. इसके मद्देनजर रिसर्च डिग्री कमेटी (आरडीसी) गुरुवार तक ही होगी.
छात्रों ने कहा कि यदि आरडीसी की अंतिम तारीख नहीं बढ़ाई गई तो फिर दीक्षांत समारोह में शामिल होने से वंचित हो जाएंगे. यदि आरडीसी की तिथि कुछ दिनों के लिए नहीं बढ़ाई गई, तो मंच से उपाधि लेने का सपना टूट जाएगा.




