
वाराणसी - उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावूर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम 4.0 संस्करण के तीसरे दिन नमोघाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में सम्पन्न हुआ. इसमें तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगो को विभोर किया. प्रथम प्रस्तुति आरंभ हुई संस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित कजरी व्याख्यान केंद्र के छात्रों द्वारा भजन एवं कजरी लोक गायन से. गायन में सर्वप्रथम देवी पचरा से जिसके बोल थे मइया झूले..., इसी क्रम में झुनझुन खोल ना....,हरहर करनी...., अंत में राम विवाह गीत बड़े ऊंचे......की प्रस्तुति की गई. गायन का निर्देशन किया श्रीमती सुचरिता दस गुप्ता ने और तबला पर राकेश रौशन ने संगत किया, हारमोनियम पर पूनम शर्मा, बैंजो पर संजय कुमार, नाल पर अमित ने संगत किया.

गायन का आरंभ शिव भजन से किया जिसके बोल थे ऊं नमः शिवाह, इसी क्रम में दूसरी प्रस्तुति गंगा गीत से जिसके बोल थे नमामि गंगे...., अंत में मेरे बाके बिहारी.... से गायन का समापन किया. आपके साथ कीबोर्ड पर सर्वेश प्रसाद, नाल पर रौशन, पैड पर बाबू कुमार ने संगत किया. तृतीय प्रस्तुति तमिल के लोक नृत्य की श्रीमती भानुमति एवं दल, चेन्नई द्वारा दी गई. नृत्य के अंतर्गत कोयलियाट्टम, मयिलाट्टम, कालीयाट्टम आदि की प्रस्तुति की गई.

चतुर्थ प्रस्तुति रही काशी की सुश्री खिलेश्वरी पटेल एवं दल द्वारा भरतनाट्यम नृत्य की, जिसके अंतर्गत गणेश कौतुवम, अलरिपु, तिल्लाना आदि की प्रस्तुति की गई. पंचम प्रस्तुति डॉ जया रॉय एवं दल, वाराणसी द्वारा लोक नृत्य की रही.
जिसके अंतर्गत कजरी एवं अवधी गीतों पर नृत्य प्रस्तुति की गई. गीत थे पिया मेहदी लिया दा...., कैसे खेलन जयबु...., सइयां मिले लड़कईया... आदि. अंतिम में पुनः तमिल के लोक नृत्य की श्रीमती भानुमति एवं दल, चेन्नई द्वारा डम्मी हॉर्स, माडू मायिलाट्टम आदि की प्रस्तुति की गई. कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अंजना झा ने किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम में लगभग 3000 दर्शक/पर्यटक उपस्थित रहे.




