
वाराणसी: प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जामिनेशन (सीजीएलई) में साल्वर गैंग ने एक बार फिर सेंध लगाने की कोशिश की. वाराणसी के भोजूबीर स्थित कंप्यूटर सेंटर एशियन सन इंफोटेक पर ऑनलाइन परीक्षा के दौरान रिमोट एक्सेस एप के जरिए एक परीक्षार्थी का पेपर किसी और से हल कराया जा रहा था. परीक्षा के दौरान पर्यवेक्षक को यह चालाकी पकड़ में आ गई और पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो गया.
परीक्षा का आयोजन कराने वाली एजेंसी एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजीज के वेन्यू मैनेजर आशुतोष पांडेय ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए परीक्षार्थी, सेंटर संचालक और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस ने पांच लोगों को नामजद किया है और जांच शुरू कर दी है.

रिमोट एक्सेस एप के जरिए बाहरी व्यक्ति कनेक्ट
शिवपुर के भोजूबीर स्थित सेंटर पर बीते सोमवार को सीजीएल की परीक्षा चल रही थी. लैब का निरीक्षण कर रहे पर्यवेक्षक रुपेश कुमार सिंह ने पाया कि परीक्षार्थी द्विजेंद्र त्रिपाठी का सिस्टम असामान्य तरीके से संचालित हो रहा है. स्क्रीन पर सवालों के जवाब ऐसे टाइप हो रहे थे, मानो कोई और परीक्षार्थी की जगह परीक्षा दे रहा हो. जब मामला पकड़ में आया तो द्विजेंद्र घबरा गया और बेहोशी का नाटक करने लगा, लेकिन उसकी पोल खुल गई.
मामले की जांच में सामने आया कि सेंटर के आईटी मैनेजर मृत्युंजय कुमार ने सिस्टम को रीबूट कर रिमोट एक्सेस एप के जरिए किसी बाहरी व्यक्ति को कनेक्ट कराया था. उसने कबूला कि यह सब उसने सेंटर संचालक तुलसी प्रसाद के कहने पर किया. वहीं, परीक्षा केंद्र के एक इन्विजिलेटर और एक अन्य कर्मचारी की संलिप्तता भी सामने आई है. सीसीटीवी फुटेज की जांच में भी यह गड़बड़ी साफ तौर पर दिखाई दी.

क्या है रिमोट एक्सेस एप
रिमोट एक्सेस एप असल में ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिनसे किसी भी डिवाइस को दूर से नियंत्रित किया जा सकता है. सामान्य परिस्थितियों में इनका उपयोग तकनीकी सहायता या रिमोट वर्क के लिए होता है, लेकिन नकल माफिया इन्हीं टूल्स को हथियार बनाकर परीक्षाओं की पारदर्शिता पर चोट कर रहे हैं. अभ्यर्थियों के कंप्यूटर कोड और सर्वर को छेड़छाड़ कर वे किसी और को पेपर हल कराने का मौका देते हैं. इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले नकल माफिया कितने संगठित और हाईटेक हो चुके हैं. पुलिस ने परीक्षार्थी द्विजेंद्र त्रिपाठी, आईटी मैनेजर मृत्युंजय कुमार, सेंटर संचालक तुलसी प्रसाद, एक इन्विजिलेटर और एक कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने में जुटी है कि इसके तार किसी बड़े गैंग से जुड़े हैं या नहीं.





