
वाराणसी - मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर मां की गोद से अगवा सो रही तीन वर्षीय बच्ची भले ही वाराणसी में मिल गई लेकिन इस घटना के पीछे का रहस्य अब भी गर्त में है. कश्वी नामक यह बच्ची छह माह बाद 14 नवंबर को वाराणसी में उसके माता-पिता को सौंप दी गई थी.
बाल दिवस के दिन बच्ची का अपने माता-पिता से पुनर्मिलन सोशल मीडिया और पुलिस की सजगता का अनुपम उदाहरण बन गया. बच्ची के अपहरण का मुकदमा 23 मई को मुंबई के माटा रामाबाई अंबेडकर मार्ग थाने में दर्ज हुआ था.
अपहर्ता की पहचान नहीं हो सकी उजागर
20 मई 2025 को हुई अपहरण की यह घटना सामने आने पर मुंबई पुलिस ने 10 विशेष टीमों का गठन किया और स्टेशन एवं आसपास के सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. इनमें बच्ची को अगवा करने की कुछ झलक मिली, लेकिन अपहरणकर्ता की कोई पहचान उजागर नहीं हो सकी. बच्ची दो जून को वाराणसी के फुलवारिया में राधा देवी को अकेली भटकती मिली थी. उन्होंने बच्ची को कैंट थाने पहुंचाया. बच्ची इतनी छोटी थी कि अपना या अपने माता-पिता का नाम नहीं बता पाई. थाना प्रभारी इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र और दारोगा संजना कुमारी ने उसे ढांढस बंधाया. बच्ची को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सौंपा गया, जिसने उसका नाम ‘कश्वी’ रखा.
इसके बाद बच्ची लहुराबीर स्थित वनिता विश्राम गृह भेज दी गई. वहां रानी रामकुमारी ने उसे मां की ममता दी, लेकिन बच्ची अक्सर मां-बाप को याद कर रोती रहती थी. नवंबर 2025 में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने सभी थानों पर गुमशुदा एवं बरामद बच्चों के पोस्टर चस्पा करने का अभियान चलाया.
कई सवाल अब भी अनुत्तरित
यही पोस्टर सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम पर प्रसारित हो गए. इस बीच वाराणसी के एक यूट्यूबर ने इंस्टाग्राम पर बच्ची की तस्वीर देखी और मुंबई पुलिस से संपर्क साधा. इसके बाद तेजी से घटनाएं घटीं. 13 नवंबर को मुंबई पुलिस की टीम वाराणसी पहुंची. वीडियो काल के जरिए माता-पिता ने बच्ची की पहचान की. शरीर पर परिवार के सदस्यों को पता कुछ खास निशान देखकर पुष्टि हो गई. 14 नवंबर को सीडब्ल्यूसी की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर बच्ची को माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया. वाराणसी पुलिस के अनुसार, बच्ची दो जून को फुलवारिया में मिलने से पहले 13-14 दिन तक कहां रही, उसे किसने और क्यों अगवा किया, यह सभी सवाल अभी अनुत्तरित हैं. मुंबई पुलिस अब अपहरण के मूल केस में आगे की जांच कर रही है.
इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र ने बताया कि हम चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप देने के बाद भी इस तरह मिलने वाले हर बच्चे की चिंता करते हैं. प्रयास किया जाता है कि वह अपने परिवार को वापस मिल जाए. पोस्टर अभियान और इंटरनेट मीडिया की तेजी और असाधारण पहुंच ने इस बार चमत्कार कर दिखाया.




