वाराणसी: बीएचयू के लिए आज एक और गौरव का क्षण है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 जारी किया, जिसमें आईआईटी बीएचयू ने इंजीनियरिंग श्रेणी में लगातार दूसरी बार देशभर में 10वां स्थान हासिल किया.
उत्तर प्रदेश के लिए प्रतिष्ठा और गर्व
यह उपलब्धि न केवल संस्थान के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए प्रतिष्ठा और गर्व का विषय है. आईआईटी बीएचयू ने यह स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया है कि वाराणसी केवल आस्था और संस्कृति का ही नहीं, बल्कि तकनीकी शिक्षा और शोध का भी राष्ट्रीय केंद्र बन चुका है.
कैम्पस में उत्सव का माहौल
जैसे ही रैंकिंग की घोषणा हुई, आईआईटी बीएचयू परिसर में छात्रों और शिक्षकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई. छात्र-छात्राओं ने इसे अपनी मेहनत और संस्थान के मार्गदर्शन का नतीजा बताया. वहीं शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की उपलब्धि युवा पीढ़ी में शिक्षा और शोध के प्रति नई ऊर्जा भरती है. सोशल मीडिया पर भी आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र (एलुमनाई) और शिक्षाविद् इस सफलता पर गर्व जता रहे हैं.
आईआईटी बीएचयू की शैक्षणिक और शोध उपलब्धियां
संस्थान आज देश के चुनिंदा तकनीकी केंद्रों में गिना जाता है.
16 इंजीनियरिंग विभाग जिनमें केमिकल, सिरेमिक, सिविल, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, माइनिंग, मेटलर्जी जैसे विषय शामिल हैं. हर साल देश-विदेश से हजारों छात्र यहां दाखिला लेने का सपना देखते हैं. रिसर्च और स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए यहां अत्याधुनिक लैब्स और इनोवेशन हब स्थापित किए गए हैं. हाल के वर्षों में यहां से जुड़े कई स्टार्टअप्स ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है.
डायरेक्टर का बयान: “यह टीमवर्क का परिणाम”
आईआईटी बीएचयू के डायरेक्टर प्रो. अमित पात्रा ने इस उपलब्धि पर कहा: “यह रैंकिंग केवल एक सम्मान नहीं बल्कि हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है. हमारी फैकल्टी, छात्र और रिसर्च स्कॉलर्स ने मिलकर यह परिणाम हासिल किया है. आने वाले वर्षों में हम वैश्विक रैंकिंग में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएंगे.”
ऐतिहासिक यात्रा: बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज से आईआईटी तक
1919: बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना.
1968: इसे इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बीएचयू नाम मिला.
2012: संस्थान को मिला आईआईटी का दर्जा.
इसके बाद से शिक्षा, शोध, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और रोजगार के क्षेत्र में संस्थान ने निरंतर प्रगति की.
टॉप-10 में जगह बनाने की अहमियत
इंजीनियरिंग शिक्षा में आईआईटी बीएचयू का लगातार दूसरी बार टॉप-10 , में रहना कई मायनों में खास है:
1. उत्तर प्रदेश का अकेला IIT जो शीर्ष 10 में अपनी स्थायी जगह बनाए हुए है.
2. इससे प्रदेश में उच्च तकनीकी शिक्षा की छवि मजबूत होती है.
3. वाराणसी जैसे ऐतिहासिक शहर को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब के रूप में नई पहचान मिलती है.
4. प्रदेश के हजारों छात्रों के लिए यह एक प्रेरणा है कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़े.
छात्रों और विशेषज्ञों की राय
छात्रों का कहना है कि आईआईटी बीएचयू में पढ़ाई के साथ ही रिसर्च और स्टार्टअप्स के लिए खुला माहौल है. कई छात्र यहां से निकलकर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों में कार्यरत हैं. शिक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह उपलब्धि पूर्वी भारत में तकनीकी शिक्षा की नई दिशा तय करती है.
आगे का लक्ष्य: वैश्विक स्तर पर पहचान
आईआईटी बीएचयू ने यह साबित कर दिया है कि वह शिक्षा, शोध और नवाचार का सशक्त केंद्र है. आने वाले समय में संस्थान का लक्ष्य है—
अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में और बेहतर स्थान हासिल करना. रिसर्च को उद्योगों से जोड़कर “मेक इन इंडिया” अभियान को गति देना. अधिक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर वाराणसी को टेक्नोलॉजी हब बनाना. आईआईटी बीएचयू का लगातार दूसरी बार NIRF इंजीनियरिंग रैंकिंग में टॉप-10 में शामिल होना यह दर्शाता है कि वाराणसी अब सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, बल्कि शिक्षा और तकनीकी प्रगति का भी केंद्र है. यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली है और उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी शिक्षा की नई पहचान दिलाती है.