
bihar politics: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख खत्म हो चुकी है, लेकिन विपक्षी महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) में अब भी सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन सकी है. वहीं बिहार चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. इसी बीच राज्यसभा के पूर्व सांसद और बड़े व्यवसायी साबिर अली ने जदयू का दामन थाम लिया है. ये सदस्यता पूर्णिया में मंत्री लेसी सिंह ने अपने आवास पर साबिर अली को जदयू का पट्टा पहनाकर ग्रहण कराई.
इस मौके पर लेसी ने कहा कि, साबिर अली पहले भी जदयू में थे, एक बार फिर से उनकी घर वापसी हुई है. जेडीयू में उनके आने से पार्टी और अधिक मजबूत हुई है. इसी के आगे उन्होंने कहा कि, साबिर अली समता पार्टी काल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने साथी रहे हैं. साबिर अली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका भी निभाने का काम करेंगे.

बता दें, जदयू में शामिल हुए साबिर अली अमौर सीट से चुनाव लड़ेंगे. साथ ही 29 अक्टूबर यानी दीपावली के शुभ दिन पर अपना नामांकन भी दाखिल करेंगे. हालांकि, जदयू ने इसी सीट से सबसे पहले सबा जफर को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन कुछ गंभीर आरोपों के कारण उनका टिकट काट दिया था.
जदयू पार्टी में शामिल होने की खुशी जाहिर करते हुए साबिर अली ने कहा कि, हमेशा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन से जुड़े रहे है. 2008 से 2014 तक वे जदयू से राज्यसभा सांसद रहे और दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है. उन्होंने खुद स्वीकार किया कि बीच में वैचारिक मतभेद जरूर हुए थे, लेकिन अब उन्हें खुशी है कि वे एक बार फिर पार्टी के साथ जुड़कर काम करेंगे. साबिर अली ने कहा कि पार्टी नेतृत्व जो भी जिम्मेदारी देगा, वे उसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे. सबा जफर का टिकट नामांकन से ठीक पहले काटा जाना इस बात का संकेत है कि पार्टी आंतरिक अनुशासन से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगी.

वहीं अमौर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है. यहां मुख्य मुकाबला एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान से है. ऐसे में साबिर अली जैसे अनुभवी नेता को उतारना, जदयू का एक साधा हुआ चुनावी रणनीति मानी जा रही है. पार्टी को उम्मीद है कि साबिर की उम्मीदवारी से मुस्लिम वोट एकजुट होंगे और अख्तरूल ईमान की चुनौती को मजबूती से जवाब भी मिलेगा.





