वाराणसी: 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद पहली बार अपने पूरे परिवार के साथ वाराणसी पहुंचे लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार में विधिवत दर्शन-पूजन किया. इस दौरान उनके चेहरे पर गहरी आस्था और आत्मिक संतोष साफ झलका दिखा.
“बाबा ने स्वीकार की मेरी प्रार्थना”
दर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में पुरोहित ने भावुक होते हुए कहा , “मैं हर साल काशी आकर बाबा विश्वनाथ से न्याय की प्रार्थना करता था. जब भी यहां आया, मन में केवल एक ही विनती रही कि मुझे न्याय मिले. आज जब न्याय मिला है तो ऐसा लगता है जैसे बाबा ने मेरी पुकार सुन ली. परिवार के साथ यहां आकर आत्मा को अद्भुत शांति मिली है. ”
“अतीत पीछे छोड़, अब नई शुरुआत”
पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों पर पुरोहित ने साफ कहा कि अब वे अतीत को पीछे छोड़ चुके हैं और जीवन का नया अध्याय शुरू कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि इस समय वे धार्मिक धाम यात्रा पर निकले हैं और काशी उनके लिए केवल एक ऐतिहासिक नगरी ही नहीं, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है जो उन्हें नवजीवन की प्रेरणा देती है.
काशी के अनुशासन और सहयोग की सराहना
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने वाराणसी की व्यवस्था और यहां की जनता की प्रशंसा की. कहा कि “काशी वास्तव में बाकी शहरों से अलग है. यहां भीड़-भाड़ और दबाव के बावजूद प्रशासन और आम नागरिकों में अद्भुत सहयोग देखने को मिलता है. इतनी भीड़ होने पर भी कभी टकराव की स्थिति नहीं बनती. यह शहर हमें सिखाता है कि विविधता में भी शांति और संतुलन कैसे बनाए रखा जा सकता है.”
गंगा घाटों से मिली आत्मिक शक्ति
अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने गंगा की महत्ता पर भी प्रकाश डाला. उनके अनुसार गंगा किनारे बैठकर व्यक्ति अपने जीवन के सारे संघर्ष और तनाव भूल जाता है और एक नई सोच के साथ आगे बढ़ने की ताकत पाता है. उन्होंने कहा कि काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा उन सभी लोगों को संबल देती है, जिन्होंने कठिन दौर का सामना किया है.
पूरी तरह धार्मिक रहा दौरा
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित का यह वाराणसी दौरा पूरी तरह धार्मिक है. उन्होंने बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने के साथ-साथ काशी की संस्कृति, आध्यात्मिक वातावरण और गंगा घाटों की भव्यता को आत्मसात किया. उनके मुताबिक यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में नए विश्वास और ऊर्जा का संचार है.