
वाराणसी, 20 अक्टूबर। नफरत की आग में झुलस रहे आपसी रिश्तों को बचाने और दुनियां को शांति का पैगाम देने के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भगवान राम की आरती के लिए लमही के सुभाष भवन में जुटीं। मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में 19 वर्षों से चली आ रही मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम महाआरती का आयोजन किया गया। जगद्गुरु बालक देवाचार्य के मार्गदर्शन में मुस्लिम महिलाओं ने सजावटी थाल में दीपक जलाकर भगवान श्री राम, माता जानकी की प्रतिमा की आरती की। नाज़नीन अंसारी द्वारा उर्दू में लिखित श्रीराम आरती सबने मिलकर गाया। अलगाववादियों, नफरती गैंग, कट्टरपंथी समूहों के मुंह पर करारा तमाचा है मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम आरती। जगद्गुरु स्वयं मुस्लिम महिलाओं के साथ आरती में खड़े हुए। आरती के बाद मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी ने सबको भगवान श्रीराम भोग का वितरण किया।
इस अवसर पर जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि इस तस्वीर को देखकर दुनियां के लोग सबक लें। घर परिवार से लेकर देश में शांति स्थापित करनी है तो राम के नाम का ही सहारा लें। राम की संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने की है। बिना भेद किये साबको गले लगाने की है। मुस्लिम महिलाओं ने अपने पूर्वजों की संस्कृति को माना, अपने मूल जड़ से जुड़ीं। इनका प्रयास रामराज्य की दिशा में बड़ा कदम है।

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी
ने कहा कि हमने मजहब बदला है, धर्म नहीं। धर्म तो सिर्फ सनातन है। हम सभी सनातनी हिन्दू हैं। अपने पूर्वजों और परम्पराओं से सभी भारतीय एक हैं। बस पूजा करने का तरीका बदल लिया, इसकी वजह से अपने पूर्वजों और परम्पराओं को छोड़ दें, यह कैसे हो सकता है। राम के आने का मतलब सुख, समृद्धि, शांति, दया, प्रेम, करुणा, सम्बन्ध, संस्कार, एकता, त्याग और सम्मान है। केवल राम नाम से यह सम्भव है तो हर देश को राम नाम की पूंजी अपने परिवार और देश को बचाने के लिए एकत्र करना चाहिए। अफगानिस्तान से हमारे रिश्ते पूर्वजों और खून का है। अफगानिस्तान में भगवान राम की प्रतिमा लगाई जाए ताकि वहां के लोग अपने पूर्वजों की संस्कृति से जुड़ सके।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा
कि रामपंथ ही दुनियां में फैली नफरत को खत्म करने का एकमात्र साधन है। जहाँ राम के कदम पड़ेंगे वहां रामराज्य का सुखद अनुभव होगा। राम के आने का मतलब पीड़ा से मुक्ति, प्रेम की वृद्धि और सेवा का संस्कार है। यही तो देश को महान बनाएगा। अब तो दुनियां बस शांति की तलाश कर रही है, तो आये राम की ओर। यहां सभी की स्वीकार्यता है।
विशाल भारत संस्थान की केन्द्रीय परिषद सदस्य डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि हम इतने बेगैरत नहीं की अपने पूर्वजों को भूलकर अरबी और तुर्की बनने का नाटक करें। हम शुद्ध भारतीय हैं और हमारी जड़े सनातन में ही है। जाति और गोत्र हमारी पहचान है। हमें कोई फतवा और धमकी हमारे राम से अलग नहीं कर सकता।
इस अवसर पर डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, नगीना, सितारा बानो, चाँदनी, जरीना, शमशुननिशा, सरोज, गीता, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता, शहाबुद्दीन तिवारी, अफ़रोज अहमद आदि लोग मौजूद रहे।




