
वाराणसी: भारत की शास्त्रीय संगीत परंपरा के गौरव और काशी की सांस्कृतिक पहचान पद्म विभूषण पं. छन्नू लाल मिश्र की तबीयत बिगड़ने से संगीत प्रेमियों और उनके अनुयायियों में चिंता की लहर दौड़ गई है. रविवार को अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें बीएचयू के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की देखरेख में उन्हें आईसीयू में रखा गया है.

आयुष मंत्री पहुंचे अस्पताल
प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ खुद सोमवार की सुबह बीएचयू पहुंचे और पं. मिश्र के स्वास्थ्य की जानकारी ली. इस दौरान उन्होंने उनकी सुपुत्री डॉ. नम्रता मिश्र और करीबी डॉ. अजीत सहगल से मुलाकात की. मंत्री ने परिजनों को प्रदेश सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग और सहायता का भरोसा दिलाया. उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए कि इलाज और देखभाल में किसी भी प्रकार की कमी न रहे.

"काशी की सांस्कृतिक धरोहर हैं मिश्र जी"
मौके पर मंत्री ने भावुक होते हुए कहा, “पं. छन्नू लाल मिश्र केवल काशी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं. उनकी गहन साधना ने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है. हम सब महादेव से प्रार्थना करते हैं कि वे शीघ्र स्वस्थ होकर फिर से अपने सुरों की गंगा बहाएं.”
संगीत जगत में चिंता और दुआओं का दौर
पं. मिश्र के अस्पताल में भर्ती होने की खबर फैलते ही संगीत जगत, शिष्य मंडली और उनके प्रशंसकों में चिंता गहरी हो गई. सोशल मीडिया पर कलाकारों और संगीत प्रेमियों ने उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआएं कीं.

पं. छन्नू लाल मिश्र का गौरवशाली सफर
पं. मिश्र को 2010 में पद्म भूषण और 2021 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 लोकसभा चुनाव में प्रस्तावक भी रहे.
उन्होंने ठुमरी, दादरा, चैती और कजरी जैसे लोक-संगीत को अपनी गायकी से अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई.
उनकी साधना ने काशी की संगीत परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
परंपरा के वाहक
संगीत की दुनिया में पं. मिश्र को बनारस घराने की थुमरी परंपरा का जीवंत प्रतीक माना जाता है. उनका गायन केवल कला नहीं, बल्कि काशी की आध्यात्मिक आत्मा की अभिव्यक्ति है. अब पूरा देश महादेव से यही प्रार्थना कर रहा है कि अपने प्रिय भक्त और सुर साधक को शीघ्र स्वस्थ करें.





