वाराणसीः कोटवा प्राथमिक विद्यालय से लापरवाही और अमानवीयता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां चौथी कक्षा का छात्र सत्यम राजभर स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, तभी मिड-डे मील बनाने वाले रसोइये ने उस पर चावल का गरम मांड (चावल का गर्म पानी) फेंक दिया. घटना में मासूम गंभीर रूप से झुलस गया और उसके पैरों पर बड़े-बड़े छाले पड़ गए.
हेडमास्टर ने धमकाकर चुप कराने की कोशिश
परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद विद्यालय के हेडमास्टर ने मामले को दबाने की कोशिश की. उन्होंने शिक्षकों से सत्यम के कपड़े उतरवाकर उसे ठंडे पानी से नहलाया और करीब एक घंटे तक स्कूल में ही रोके रखा. बच्चे ने बार-बार घर जाने की गुहार लगाई, लेकिन उसे डराकर चुप करा दिया गया. हेडमास्टर ने यहां तक धमकी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो डंडे से पीटेंगे.
500 रुपये देकर मुंह बंद कराने की कोशिश
सत्यम की मां सोना ने बताया कि लगभग एक घंटे बाद शिक्षकों ने बच्चे को घर पहुंचाया और इलाज के लिए 500 रुपये देने की कोशिश की. परिवार गरीब है, पिता रिक्शा चालक है. मां को जब बच्चे की हालत देखी तो तुरंत इलाज के लिए पांडेयपुर स्थित जिला अस्पताल ले गई, जहां से डॉक्टरों ने कबीरचौरा स्थित शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल रेफर कर दिया. वर्तमान में सत्यम वहीं भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है.
घटना का खुलासा बच्चे ने खुद किया
अस्पताल में भर्ती सत्यम ने बताया कि वह पानी पीने के बाद टॉयलेट जा रहा था. लौटते समय रसोइये ने बिना किसी कारण उसके ऊपर गरम चावल का पानी फेंक दिया. झुलसते ही वह जोर-जोर से रोने लगा. तब जाकर शिक्षक और बच्चे वहां इकट्ठा हुए.
पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
परिवार का आरोप है कि शिकायत लेकर जब वह पुलिस चौकी पहुंचे तो उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई.
सत्यम की मां ने गुहार लगाई है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और बच्चे को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए. वहीं, सरायमोहना चौकी प्रभारी 'अनुज शुक्ला' ने कहा कि मामला संज्ञान में है लेकिन अब तक लिखित शिकायत नहीं मिली है, लिखित शिकायत दर्ज होने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
हाल ही में हुआ था एक और हादसा
गौरतलब है कि इसी क्षेत्र के पहलु का पुरा प्राथमिक विद्यालय में कुछ दिन पहले ही कक्षा एक का छात्र दाल के भगोने में गिरकर झुलस गया था. वह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि कोटवा विद्यालय में यह नया हादसा सामने आ गया, जिससे मिड-डे मील की सुरक्षा व्यवस्था और स्कूल प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं लोगों का कहना है कि यह मामला सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि अमानवीयता का उदाहरण है. अब देखना है कि शिक्षा विभाग और प्रशासन इस पर कब तक कार्रवाई करता है.