
वाराणसी - बीएचयू के शारीरिक शिक्षा विभाग में गुरुवार को छात्र काफी प्रसन्न दिखे. बीते दिनों धरना प्रदर्शन के बाद चर्चा में आए बीपीएड छात्रों का कहना है कि हमारी जीत हुई, हमारी मांग पूरी हुई. इससे पूरे देश के छात्रों का भला हुआ जिन्होंने बीपीएड की डिग्री धारण की है.
स्नातक किसी भी विषय के साथ-साथ दो वर्षीय बीपीएड प्रोग्राम को मान्यता मिल गई है. नवोदय विद्यालय समिति एवं केंद्रीय विद्यालय संगठन ने छात्रों की बात सुनी और उसके आधार पर निर्णय लिया. पुरानी चयन प्रक्रिया फिर से लागू कर दी गई है.
बीएचयू की मुहिम रंग लाई
छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर काम किया. इस मुहिम को आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय के कुलपति की त्वरित कार्यवाही से शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रम सिंह, सहायक प्रोफेसर डॉ. कृष्णकांत, हर्ष राय एवं संदीप कुमार, जो छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उन्होंने दिल्ली जाकर छात्रों का प्रतिनिधिमंडल बनाया. इस यात्रा का पूरा खर्च विश्वविद्यालय ने उठाया.
वहां जाकर प्रतिनिधिमंडल ने सांसद मनोज तिवारी, जयंत चौधरी, शिक्षा राज्य मंत्री, एकलव्य आवासीय विद्यालय कमिश्नर, नवोदय विद्यालय समिति कमिश्नर आदि से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि चयन प्रक्रिया में हुए बदलाव के कारण देश के 95 प्रतिशत छात्रों, जिन्होंने बीपीएड किया है, उनका भविष्य संकट में आ गया है. इसके साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि एन.सी.टी.ई ने उनके कोर्स को मान्यता दी है.
सभी ने उनकी बात को ध्यान से सुना और त्वरित कार्यवाही करते हुए नए नियम को रद्द कर दिया और पुराने नियम को लागू किया. इस निर्णय से उन छात्रों का भविष्य सुरक्षित हुआ, जिन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय खेल को समर्पित किया और इसके बाद बी.पी.एड की डिग्री हासिल की.
छात्रों ने दिया धन्यवाद
गुरुवार की सुबह शारीरिक शिक्षा विभाग, बीएचयू के छात्रों ने सभी को धन्यवाद दिया. इस निर्णय से छात्रों के बीच खुशी का माहौल है. छात्रों ने "हर हर महादेव", "जय महामना", कुलपति, डीन, रजिस्ट्रार, विभागाध्यक्ष एवं सभी शिक्षकगण को नारे लगाकर धन्यवाद दिया. इस निर्णय से छात्रों के भविष्य को लेकर प्रश्नचिन्ह पर विराम लग गया. बीएचयू के छात्रों ने अपनी मेहनत और एकजुटता से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जो निश्चित रूप से भविष्य में उनके लिए उपयोगी होगी.




