
वाराणसी - ग्रीन मोबिलिटी और स्वच्छ ऊर्जा के नए दौर की शुरूआत हो चुकी हे. इसी परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी ग्रीन हाइड्रोजन नीति–2024 के तहत आईआईटी, बीएचयू और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी), गोरखपुर में संयुक्त रूप से ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना को औपचारिक मंजूरी दे दी है. इसका निर्णय यूपीनेडा ने लिया है. इसका लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन आधारित तकनीकों, अनुसंधान, स्टार्टअप्स और उद्योग जगत के सहयोग को मजबूत आधार प्रदान करना है.
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का सबसे बड़ा आकर्षण रेलवे मंत्रालय के सहयोग से गोरखपुर–वाराणसी रेलखंड पर हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी है. यह देश की पहली क्षेत्रीय हाइड्रोजन-ईंधन से संचालित ट्रेन होगी. इसके जरिए ऊर्जाक्षमता, सुरक्षित हाइड्रोजन भंडारण, सप्लाई चेन और वास्तविक संचालन से जुड़ी तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा. इसी के समानांतर यूपीएसआरटीसी भी इस मार्ग पर ग्रीन हाइड्रोजन बसें चलाने की योजना पर काम कर रहा है. लगभग 50 प्रतिशत अवसंरचना एमएमएमयूटी, गोरखपुर में विकसित की जाएगी.
आईआईटी (बीएचयू) को मिली परियोजना की कमान
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में आईआईटी,बीएचयू को लीड संस्थान की भूमिका सौंपी गई है. संस्थान शोध दिशा, तकनीकी रणनीति, परियोजना समन्वयन और नीतिगत मार्गदर्शन की जिम्मेदारी निभाएगा. सेंटर के संगठन ढांचे में डॉ. प्रीतम सिंह (समन्वयक) और डॉ. जे. वी. तिर्की (सह-समन्वयक) को प्रमुख भूमिकाएँ दी गई हैं.
ग्रीन हाइड्रोजन व स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एक इनक्यूबेशन सेंटर भी स्थापित होगा. इसका लक्ष्य हर वर्ष 10 नए स्टार्टअप विकसित करना, यानी अगले पाँच वर्षों में कुल 50 स्टार्टअप्स है. इन्हें तकनीकी सहायता, मेंटरशिप, परीक्षण सुविधाएँ और उद्योगों से कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल पूर्वी यूपी को देश के अग्रणी स्वच्छ ऊर्जा हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.




