
वाराणसीः छह दिन पूर्व भर्ती कराकर आजमगढ़ की रहने वाली 80 वर्षीय गुलैछी को कबीरचौरा अस्पताल में छोड़ा पोता अपनी मां के साथ भाग निकला. अपने परिजनों से मिलने तथा घर पहुंचाने की गुहार हर आने –जाने वालों से लगाती वृद्धा फिलहाल महिला अस्पताल में लावारिस के रूप में वार्ड में भर्ती हैं. जानकारी पाकर पहुंचे गुलैछी मौर्या की देखभाल अमन कबीर ट्रस्ट के कार्यकर्ता कर रहे हैं. दूसरी ओर भर्ती कराने आए सुनील कुमार नामक पोता ने फोन पर हुई बातचीत में वृद्धा को पहचानने से ही इंकार कर दिय़ा. उसने साफ शब्दों में कहा कि वह उनकी कोई नहीं. वह उन्हें लावारिस मिली थी, इंसानियत के चलते उसने अपनी मां के साथ आकर उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया था. दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन अब गुलैछी मौर्या को अब वृद्धा आश्रम में भेजने की कोशिश में लगा है जो सारनाथ में है.

वृद्धा ने खोला राज, बताया इलाज कराने लेकर आई थी बहू
दूसरी ओर कबीरचौरा अस्पताल में भर्ती गुलैछी मौर्या ने जानकारी दी कि उसके दो बेटे राममिलन और वीरेंद्र हैं. राममिलन की पत्नी सावित्री देवी उसका इलाज कराने अपने साथ यहां लाई थी. साथ में पोता सुनील बी थी. बताया कि पहले तो दो दिनों तक दोनों साथ में रहे फिर अचानक लापता हो गए. साथ में वृद्धा ने आरोप लगाया कि है कि इलाज के नाम पर बहू ने उसेके खाते से पैसे भी निकाल लिए थे.
पोता से फोन पर इस तरह हुई बात
कबीरचौरा अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार तबीयत खराब देख 6 अक्टूबर की शाम 5:58 बजे गुलैछी मौर्या को एडमिट किया गया था. महिला को उनका पोता सुनील कुमार मौर्या और बहू सावित्री देवी लेकर आए थे. सुनील ने अपना नाम और फोन नंबर मरीज की देखभाल के लिए कराया था. वृद्धा को भर्ती कराने के बाद सुनील रात में चला गया. इसके दूसरे ही दिन साथ ही बहू सावित्री भी बिना किसी को कुछ बताए अस्पताल से निकल गई. दूसरे दिन सुबह जब दवा और नाश्ते के लिए स्टाफ जब वृद्धा के बेड पर पहुंचे तो वहां कोई नहीं थी. बताया कि घर वालों को बुलाने के लिए अस्पताल की तरफ से कई बार सुनील को फोन किया गया लेकिन उसका फोन स्वीच आफ मिला. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी. बाद में दो-तीन दिन के बाद फिर सुनील को फोन किया गया तो उसने फोन उठा लिया. बुलाने की बात पर उसने वृद्धा को साथ ले जाने से साफ मना कर दिया.

ट्रस्ट के लोग कर रहे देखभाल
ट्रस्ट के संस्थापक अमन कबीर ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक बुजुर्ग महिला अस्पताल में लावारिस हालत में पड़ी है. उसकी कोई देखरेख करने वाला नहीं है. जब वह अस्पताल पहुंचे तो पाया कि वृद्धा की हालत बहुत खराब थी, वह तीन दिन भूखी थी. बातचीत करने पर वृद्धा ने अपना नाम और गांव बताया तथा उनसे घर पहुंचाने की विनती की. फिलहाल ट्रस्ट के लोग वृद्धा की देखभाल कर रहे हैं.




