वाराणसी : कफ सिरप तस्करी मामले में वाराणसी की विशेष जांच टीम को एक और महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है. इस टीम ने कोलकाता में दबिश देकर दो फर्म संचालकों को गिरफ्तार किया है. इनमें निशांत फार्मा के प्रतीक मिश्रा और विश्वनाथ फार्मा के विशाल सोनकर शामिल हैं. दोनों को वाराणसी लाया जा रहा है, जहाँ उनसे गहन पूछताछ की जाएगी. इसके साथ ही इस बड़े नेटवर्क में अब तक यूपी में दर्जन भर आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
एसआईटी का नेतृत्व कर रहे सरवरण टी. ने बताया कि जांच में दोनों फर्मों की भूमिका बेहद अहम पाई गई है। इन फर्मों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ड्रग लाइसेंस प्राप्त किए और शैली ट्रेडर्स, रांची से मिलीभगत कर बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित कफ सिरप की अवैध खरीद–बिक्री की.
फर्जी दस्तावेजों पर ड्रग लाइसेंस
कितनी बड़ा था अवैध कारोबार
निशांत फार्मा (प्रतीक मिश्रा)
विश्वनाथन मेडिकल (विशाल सोनकर)
जांच में यह भी सामने आया कि दोनों फर्मों के खातों में आया पैसा तुरंत अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था, जिससे असली लेन-देन छिपाया जा सके.
48 घंटे में 4 गिरफ्तार
वाराणसी एसआईटी की तेज कार्रवाई ने पूरे नेटवर्क को हिला कर रख दिया है. केवल दो दिनों में 4 महत्वपूर्ण गिरफ्तारियाँ हुईं, जिससे तस्करी की परतें तेजी से उधड रही हैं. एाआईटी अध्यक्ष सरवरण टी. के अनुसार यह नेटवर्क बेहद संगठित था. फर्मों, लाइसेंसों और बैंक लेनदेन की गहन जांच जारी है. आगे और गिरफ्तारियाँ होंगी. बत दें कि कोतवाली में भी कल दो गिरफ्तारियां की गई थीं.
आगे की जांच का फोकस
वाराणसी में कफ सिरप तस्करी का यह मामला तेजी से खुल रहा है, और एसआईटी की लगातार कार्रवाई से पूरे नेटवर्क के जल्द उजागर होने की उम्मीद और मजबूत हो गई है.
कारोबारी कोर्ट की शरण में
वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने 10 फर्म वालों का मुकदमा अपने हाथ में लिया है. अधिवक्ता का कहना है कि जो 10 फर्म वाले मेरे पास आये उनके दस्तावेज की जांच की गई. सभी दस्तावेज उन फर्मो के सही पाए गए. सभी ने स्टॉकिस्ट से बकायदा बिल के साथ माल खरीदा है. जो लोग इसे मौत का सिरप बता रहे हैँ वो बिल्कुल गलत बात है. इन दवाओ के कारण काशी के छोटे छोटे व्यापारियों व फर्मो की छवि धूमिल हो रही है.
अगर अवैध भंडारण हुआ या अन्य कोई विषय है तो उसकी जांच कराये और जो दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई हो. कार्रवाई के नाम पर सभी को एक ही तराजू में न तौला जाए,इससे बनारस जो पीएम का संसदीय क्षेत्र है उसकी छवि धूमिल हो रही है.





