
वाराणसी: अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) के नेतृत्व में “उत्तर प्रदेश पुलिस झण्डा दिवस” के अवसर पर रविवार को एक भव्य एवं गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन परेड ग्राउण्ड पुलिस लाइन, वाराणसी में किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पीयूष मोर्डिया, (अपर पुलिस महानिदेशक, वाराणसी ज़ोन) प्रभारी पुलिस आयुक्त, कमिश्नरेट उपस्थित रहे. कार्यक्रम का उद्देश्य पुलिस बल में संगठनात्मक निष्ठा, परंपरा, शौर्य तथा राष्ट्र-सेवा की भावना को पुनर्स्मरण कराते हुए पुलिस ध्वज के प्रति सम्मान को सुदृढ़ करना था.
कार्यक्रम का शुभारम्भ ध्वज आरोहण एवं ध्वज को सलामी के साथ हुआ. परंपरानुसार राष्ट्रधुन प्रस्तुत की गई और ध्वज सम्मान गार्ड द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके पश्चात वरिष्ठ अधिकारियों एवं बल के जवानों ने संगठनात्मक निष्ठा शपथ ली, जिसमें कानून-व्यवस्था बनाए रखने, मानवाधिकारों की रक्षा करने, जनता की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने तथा कर्तव्य के प्रति समर्पित रहने की प्रतिज्ञा दोहराई गई.

कर्तव्य भावना, अनुशासन और मानवीय पुलिसिंग पर बल
मुख्य अतिथि एडीजी पीयूष मोर्डिया ने कहा कि पुलिस ध्वज दिवस केवल एक औपचारिक पर्व नहीं, बल्कि यह पुलिस बल की गौरवशाली परंपरा, शौर्य, बलिदान और सेवा के दीर्घ इतिहास का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि पुलिस ध्वज देश की एकता, अखंडता और संवैधानिक मर्यादाओं की रक्षा के प्रति संकल्प का प्रतिरूप है. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान समय में पुलिसिंग की चुनौतियाँ बदलते स्वरूप में सामने आ रही हैं. साइबर अपराध, संगठित अपराध, नशा तस्करी, आर्थिक अपराध, फेक न्यूज़, सांप्रदायिक तनाव, यातायात प्रबंधन और सार्वजनिक आयोजनों के दौरान भीड़ नियंत्रण जैसे विषय आज के दौर में तकनीकी दक्षता, मानवीय संवेदना और त्वरित प्रतिक्रिया की मांग करते हैं. इस परिप्रेक्ष्य में पुलिस के प्रत्येक सदस्य का यह दायित्व है कि वह निरंतर प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं को अद्यतन रखे, आधुनिक संसाधनों का उपयोग करे तथा जनता के साथ संवादमूलक और जिम्मेदारीपूर्ण संपर्क स्थापित करे.
"पुलिस बल की अनुशासनात्मक धुरी केवल वर्दी और आदेश नहीं, बल्कि भीतर से उत्पन्न होने वाली निष्ठा, कर्तव्यपरायणता और सेवा-भाव है. वास्तविक शक्ति पुलिस जवान के चरित्र, निर्णय क्षमता और संवेदनशील व्यवहार में निहित है."
टीमवर्क, पारदर्शिता, समयबद्धता, तकनीक आधारित कार्यप्रणाली तथा पीड़ित-उन्मुख पुलिसिंग के सिद्धान्तों का पालन करने की प्रेरणा तथा निर्देश दिए.
1. कर्तव्य-निष्ठा एवं अनुशासन
प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी सेवा भावना के साथ कर्तव्य का निर्वहन करें तथा वर्दी में परिलक्षित अनुशासन, व्यवहार और कार्य-प्रणाली में निरंतर सुधार सुनिश्चित करें.
2. जनता-केंद्रित एवं संवेदनशील पुलिसिंग
पीड़ितों, महिलाओं, बच्चों, वृद्धजनों और कमजोर वर्गों से व्यवहार में गरिमा, सम्मान एवं सहानुभूति सुनिश्चित की जाए. शिकायतों पर त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी कार्रवाई की जाए.
3. कानून-व्यवस्था प्रबंधन में तत्परता
किसी भी आपात स्थिति, विशेष आयोजन, त्योहार, भीड़ नियंत्रण या वीआईपी मूवमेंट के दौरान समयबद्ध व समन्वित तैनाती सुनिश्चित की जाए. घटनास्थल पर प्रतिक्रिया समय न्यूनतम रखा जाए.
4. आधुनिक एवं तकनीक-आधारित कार्यप्रणाली
साइबर अपराध, संगठित अपराध, यातायात प्रबंधन और जनसंपर्क कार्यों में तकनीकी संसाधनों, डेटा विश्लेषण एवं डिजिटल उपकरणों का अधिकाधिक उपयोग किया जाए.
5. अनुसंधान की गुणवत्ता
प्रत्येक विवेचना में साक्ष्य-आधारित, वैज्ञानिक एवं समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाए. चार्जशीट की गुणवत्ता और पैरवी की निगरानी पर विशेष ध्यान दिया जाए.
6. आंतरिक समन्वय एवं टीमवर्क
समस्त इकाइयों के बीच समन्वय को सुदृढ़ किया जाए तथा आदेश/सूचना का पालन समयबद्ध रूप से किया जाए. थाने-स्तर पर बीट, डेस्क, चौकी और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच स्पष्ट संचार हो.
7. जनसहभागिता एवं संवाद
शांति समिति, स्थानीय प्रतिनिधियों, शिक्षण संस्थानों एवं बाजार संघों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित कर कानून-व्यवस्था संबंधी संदेश जन-स्तर पर प्रसारित किए जाएँ.
8. स्वच्छता, परेड एवं आचार-संहिता का पालन
परिसर, कार्यालय और वर्दी अनुशासन के साथ-साथ आधिकारिक आचार संहिता एवं विभागीय परंपराओं का ईमानदारी से पालन किया जाए.




