
वाराणसी: शारदीय नवरात्र का आगाज़ होते ही पूरा काशी शहर भक्ति और उत्सव की ऊर्जा से सराबोर है. मां दुर्गा की आराधना के साथ ही गरबा और डांडिया जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की तैयारियां तेज हो गई हैं. लेकिन इस बार गरबा पंडालों में प्रवेश को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. परिषद ने आयोजकों से कहा है कि केवल आधार कार्ड देखकर ही प्रतिभागियों को प्रवेश दिया जाए और टिकट पर साफ तौर पर लिखा हो कि “गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है.”

ज्ञापन सौंपकर रखी मांग
विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने जेसीपी राजेश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी मांग रखी. परिषद ने आयोजकों को चेताया है कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. परिषद का कहना है कि पिछले कई सालों में गरबा पंडालों में अन्य धर्म के युवकों की घुसपैठ की घटनाएं हुईं, जिसके दौरान छेड़खानी और अनुशासनहीनता जैसी शिकायतें सामने आईं. इन घटनाओं ने न केवल महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए, बल्कि धार्मिक आयोजनों की पवित्रता भी प्रभावित हुई. इस बार परिषद ने पहले से ही कड़ा रुख अपनाया है. विश्व हिंदू परिषद ने साफ कहा है कि आयोजक अपने टिकटों पर “गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित” लिखें और पंडालों के प्रवेश द्वार पर कड़ी चेकिंग व्यवस्था सुनिश्चित करें. किसी भी प्रतिभागी को बिना आधार कार्ड जांच के प्रवेश न मिले.

परिषद की चेतावनी
वीएचपी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आयोजक इन निर्देशों का पालन करने में चूक करते हैं तो परिषद उन्हें जिम्मेदार ठहराएगी और कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी.

गरबा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
वाराणसी में गरबा और डांडिया सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि इसे मां दुर्गा की आराधना और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसमें महिलाएं, बच्चे और युवा बड़ी संख्या में भाग लेते हैं. परिषद का कहना है कि इस माहौल की पवित्रता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है.वाराणसी जैसे धार्मिक नगर में यह निर्देश आयोजन समितियों के लिए एक नई चुनौती बन गए हैं. एक ओर उन्हें उत्सव की भव्यता और सहभागिता सुनिश्चित करनी है, वहीं दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद की शर्तों का पालन भी करना है.





