
वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज समेत देश के 18 शहरों में वाटर मेट्रो का संचालन किया जाएगा. पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना का खाका तैयार किया है.
अर्बन वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत आईडब्ल्यूएआई की ओर से कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड को सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सभी शहरों में सर्वेक्षण का कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है. इस परियोजना के शुरू होने के बाद यात्रियों को अनोखी सुविधाएं प्राप्त होंगी और इसके साथ ही ये शहर पर्यटन के मानचित्र पर भी शामिल हो सकेंगे.

प्राधिकरण के इस फैसले से अब जलमार्ग से प्रमुख क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बेहतर होने की उम्मीद जगी है. इसकी वजह से पर्यटन के क्षेत्र में चमक रहे बनारस में पर्यटकों के हित में चार चांद लगना तय है. हालांकि तय किए गए समय के अनुसार काम पूरा हो गया तो अगले साल तक गंगा में पर्यटकों को नया अनुभव मिलना तय है.
इस परियोजना के तहत वाराणसी में भी वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी की जा रही है, जिससे आम लोगों को जाम से बचते हुए यात्रा करने का अवसर मिलेगा. यह न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि प्रदूषण को भी कम करेगा. वाराणसी के साथ-साथ अयोध्या और प्रयागराज भी इस योजना में शामिल हैं.
आईडब्ल्यूएआई ने वाराणसी में सर्वेक्षण किया है, जिसमें सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं. वाराणसी में गंगा में आठ स्थानों पर यात्रियों के लिए स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं, जहां से लोग वाटर मेट्रो में सवार हो सकेंगे. इनमें रामनगर स्थित आईडब्ल्यूएआई टर्मिनल, शास्त्री घाट, संत रविदास घाट, चेत सिंह घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ललिता घाट पर, पंचगंगा घाट, नमो घाट और केशव घाट आदि शामिल हैं.

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक पर मौजूद वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज जैसे धार्मिक शहरों में वाटर मेट्रो चलाने की योजना बनाई जा रही है. वाराणसी में आईडब्ल्यूएआई ने ट्रैफिक अध्ययन पूरा कर लिया है, जिसमें वाटर मेट्रो के संचालन को आवश्यक और उपयोगी माना गया है.
अंतर्राष्ट्रीय भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि वाटर मेट्रो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित और सुगम यात्रा का विकल्प प्रदान करेगी. यह परियोजना शहरों में जनसंख्या के बढ़ते दबाव को देखते हुए भविष्य में सार्वजनिक परिवहन का एक बेहतर माध्यम साबित होगी.




