
वाराणसीः दिल्ली तथा गाजियाबाद की हवा की गुणवत्ता में लगातार हो रही गिरावट का स्तर छूने को अब बनारस की आबोहवा भी तैयार है. पिछले दिनों एक्युआइ का स्तर जहां बनारस येलो जोन में चल रहा था वहीं इसकी स्तर खराब होने से आरेंज जोन में परिवर्तित हो चुका है। इसके चलते जहरीली हो चकी हवा में लोगों का सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है. इसके चलते जहां सांस के मरीजों की तकलीफें बढ़ रही है वहीं फेफड़ों की शिकायत के मामले में तेजी आई है.
आने वाले दिनों में स्थिति हो सकती है और भी खराब
बताया गया कि इसका कारण जगह खोदी गई सड़कों से उड़ते धूल के गुबार, सर्द मौसम, शीत का प्रभाव , जगह-जगह हो रहे नन निर्माण आदि ने मिलकर बनारस की हवा में धूल कणों की संख्या इतनी बढ़ाई प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. प्रशासन की तरफ से लोगों को सावधानी बरतने के साथ-साथ प्रदूषण से बचने की सलाह दी गई है. बताया गया कि इसके चलते आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है.

क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव की माने तो सर्दी बढ़ने के साथ एक्युआइ का स्तर बढ़ जाता है. वहीं शहर में अनेक स्थानों पर सड़कों की खोदाई हुई पड़ी है, शहर में बढ़ती भीड़ के चलते तापमान भी सामान्य से नीचे आ गया है जिसके चलते वातावरण में शीत व आर्द्रता बढ़ गई है. इस वजह से सतह से उड़े धूल के कण ऊपर जाकर शीत की बूंदों के साथ मिलकर मोटे हो जाते हैं और धुंध के साथ मिलकर हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं. दूसरी ओर ठंड के समय मे जगह-जगह लोगों द्वारा अलाव जलाने तथा गांवों में बदल गर्म करने के लिए ताप जलाने से भी हवा में धुएं की मात्रा बढ़ जाती है. इसके चलते हवा की गुणवत्ता खराब होने पर सांस के मरीजों को काफी परेशानी हो सकती है.

अर्दली बाजार का एक्युआइ सबसे खराब
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकृत समीर एप पर शनिवार को शहर का औसत एक्युआइ 227 रहा. सबसे खराब हवा अर्दली बाजार में रिकार्ड की गई जहां एक्युआइ 245 पहुंच गया था. दूसरी ओर भेलूपुर में एक्युआइ 212, मलदहिया में 228 और बीएचयू में 207 रिकार्ड किया गया.




