
वाराणसी - काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत बीएचयू और आईआईटी संयुक्त रूप से सात शैक्षणिक कार्यक्रमों की मेजबानी करेंगे. काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक संबंधों के भव्य उत्सव के चौथे संस्करण की मेजबानी करने के लिए वाराणसी पूरी तरह तैयार है. शिक्षा मंत्रालय, आरत सरकार के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय और आईआईटी-मद्रास शैक्षणिक साझेदार हैं, जो काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक संबंधों का भव्य प्रदर्शन प्रस्तुत करता है. कार्यक्रम के अंतर्गत, बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू 2 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच विभिन्न विषयों पर शैक्षणिक सत्रों की श्रृंखला संयुक्त रूप से आयोजित करेंगे. दोनों संस्थान काशी तमिल संगमम् 4.0 के बारे में जन-जागरुकता बढ़ाने और जनसंपर्क हेतु वाराणसी में मुख्य कार्यक्रम से पूर्व अनेक गतिविधियाँ भी आयोजित कर रहे हैं.
कुलपति ने बताई आयोजन की रूपरेखा
शनिवार को बीएचयू की गतिविधियों और सहभागिता पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएचयू के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् की शुरुआत से ही सक्रिय भागीदार होना विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है. 'हम काशी हिंदू विश्वविद्यालय में काशी तमिल संगमम् के प्रमुख सहभागी होने को लेकर उत्साहित हैं. हमने, आईआईटी-बीएचयू के साथ मिलकर, हमारे अतिथियों को ऐसा यादगार अनुभव प्रदान करने के लिए व्यापक तैयारियों की हैं, जिसकी स्मृतियां जीवन भर उनके साथ रहेंगी." प्रो. चतुर्वेदी ने कहा, 'काशी ज्ञान और बौद्धिकता की नगरी है. प्राचीन काल से ही विश्ठ भर से लोग काशी आकर जान अर्जित करते रहे हैं और अपने आंतरिक अस्तित्व का उत्थान करते रहे हैं. काशी तमिल संगमम् हमें जान साझा करने और नई अंतर्दृष्टियाँ विकसित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है. एक जान भागीदार के रूप में, बीएचयू ने विविध तरीकों से जान विनिमय को सुगम बनाने की व्यापक योजना बनाई है, जिसमें विभिन्न विषयों पर शैक्षणिक सत्र, बीएचयू के संग्रहालय, पुस्तकालय, शोध प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक सुविधाओं का भ्रमण शामिल है, जो विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं, जैसे महामना अभिलेखागार और जान-संपदाएँ, साथ ही आईआईटी-बीएचयू की उपकरण, नवाचार और अनुसंधान सुविधाएँ."
साझा भारतीय विरासत से जुड़ी है भाषाएं
काशी तमिल संगमम् 4.0 का विषय "लेट अस लर्न तमिल तमिळ करकलाम" आषाई सदभाव और सांस्कृतिक एकता के केंद्रीय संदेश को दर्शाता है। यह इस बात पर बल देता है कि भारत की सभी भाषाएँ, चाहे वे किसी भी क्षेत्र से हो, साझा भारतीय विरासत से जुड़ी है. कुलपति ने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सद्भाव का माध्यम है, जो उत्तर और दक्षिण भारत को साझा विरासत के माध्यम से पुनः जोड़ने में मदद करता है, और शैक्षणिक सत्र इसी भावना से तैयार किए गए हैं.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा, "काशी तमिल संगमम् 4.0 का बीएचयू के साथ संयुक्त रूप से आयोजन करना आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के लिए अत्यंत गौरव की बात है. इस वर्ष के संगमम् का मुख्य विषय-कर्पोम् तमिल' तमिल भाषा सीखने को गहन सांस्कृतिक और बौद्धिक सहभागिता के द्वार के रूप में सुंदर ढंग से प्रस्तुत करता है. भाषा, जब तक परिचित न हो, चुनौतीपूर्ण लग सकती है, लेकिन सीखने पर यह नए विचारों और समझ का सेतु बन जाती है. आज डिजिटल तकनीकों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स में तेज प्रगति के साथ, भाषाओं तक पहुँच काफी आसान और अधिक समावेशी हो गई है. मजबूत शैक्षणिक सहयोग और तकनीकी हस्तक्षेप के साथ, आईआईटी (बीएचयू) का समुदाय, जिसमें हमारी तमिल-भाषी बिरादरी भी शामिल है, इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहल के सुचारू और प्रभावी आयोजन की प्रतीक्षा कर रहा है."
शैक्षणिक सत्रों का आयोजन

काशी तमिल संगमम् के तहत सात विभिन्न समूह काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण करेंगे और बीएचयू एवं आईआईटी-बीएचयू द्वारा आयोजित शैक्षणिक सत्रों में भाग लेंगे. पहला समूह, जिसमें विद्यार्थी शामिल हैं, 3 दिसंबर 2025 को 'लमिल कल्पना में काशीः महाकवि सुब्रमण्यम भारती और उनकी विरासत" विषय पर आधारित समूह में हिस्सा लेगा. दूसरा समूह 5 दिसंबर को आएगा जिसमें शिक्षक शामिल होंगे, और उनका विषय होगा "काशी और तमिलनाडु की आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराएँ. तीसरा समूह, जिसमें लेखक और मीडिया पेशेवर शामिल होंगे, 7 दिसंबर को "काशी के समावेशी साहित्य और पत्रकारिता में भारत" विषय का अन्वेषण करेगा. कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को समर्पित चौथा समूह 9 दिसंबर को "सतत खाद्य प्रणाली" विषय पर भाग लेगा. 11 दिसंबर को आने बाला पाँचवाँ समूह, जिसमें पेशेवर और कारीगर शामिल होंगे, 'पवित्र संबंध: काशी और कांचीपुरम के बीच संवाद" विषय पर केंद्रित होगा। खता समूह, जिसमें महिलाएँ शामिल होगी, 13 दिसंबर को 'समृद्ध महिलाएँ, समृद्ध भारत विषय पर चर्चा करेगा. अंतिम समूह, जिसमें शास्त्रीय संगीतज, आध्यात्मिक ग्रंथ शिक्षकों और वक्ताओं सहित आध्यात्मिक प्रतिभागी शामिल होंगे, 15 दिसंबर को दिव्य सूत्र विषय पर आधारित सत्र में भाग लेगा.
काशी तमिल संगमम् के अंतर्गत, बीएचयू और आईआईटी-बीएचयू नमी घाट पर अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित करने के लिए विशेष प्रदर्शनी भी लगाएंगे. बीएचयू का स्टॉल बहु-विषयक शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को पदर्शित करेगा और यह दर्शाएगा कि विश्वविद्यालय मूल्य-आधारित, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में कैसे योगदान दे रहा है. प्रदर्शनी में विभिन्न संस्थानों और संकायों की शोध उत्कृष्टता और शैक्षणिक विशेषज्ञता भी प्रदर्शित की जाएगी, साथ ही दृश्य कला, प्रदर्शन कला और भारत कला भवन पर विशेष प्रदर्शन भी होंगे. आईआईटी (बीएचयू) का स्टॉल संस्थान की तकनीकी उत्कृष्टता, अत्याधुनिक अनुसंधान, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और शैक्षणिक योगदानों को प्रदर्शित करेगा.
हिंदी मे दक्ष तमलि शिक्षक लेंगे क्लास
इस वर्ष के काशी तमिल संगमम् की एक अनूठी विशेषता है हिंदी में दक्ष तमिल शिक्षकों का वाराणसी आना, जो विभिन्न स्कूलों में विद्यार्थियों को तमिल भाषा के आधारभूत ज्ञान और इसकी विरासत के बारे में पढ़ाएंगे. भारतीय भाषा के विभाग, कला संकाय, बीएचयू के तमिल अनुभाग द्वारा इस पहल का समन्वय, वाराणसी जिला प्रशासन के साथ मिलकर किया जा रहा है. चेन्नई स्थित केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (CICT) दद्वारा तैयार अध्ययन सामग्री के आधार पर 50 शिक्षकों और दो समन्वयकों को प्रशिक्षित किया गया है. इन शिक्षकों को जिला प्रशासन द्वारा चयनित 50 स्कूलों (सरकारी और निजी) में भेजा जाएगा, जहाँ वे 30 छात्रों के चयनित समूह को 15 दिनों तक बुनियादी तमिल संवाद सिखाएँगे. CICT दवारा तैयार पाँच खंडीय अध्ययन सामग्री हिंदी के माध्यम से तमिल सिखाने के लिए डिज़ाइन की गई है. कुल 1.500 विद्यार्थियों को मौखिक तमिल सिखाई जाएगी, जिससे इस वर्ष के काशी तमिल संगमम् का विषय लेट अस लर्न तमिल और सुदृढ़ होगा.
300 छात्र करेंगे तमिलनाडु भ्रमण
काशी तमिल संगमम् 4.0 का एक अन्य विशेष आकर्षण वाराणसी के 300 विद्यार्थियों का तमिलनाडु भ्रमण है. इन छात्रों का चयन एक ऑनलाइन क्विज़ के माध्यम से किया जा रहा है, जिसके लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने एक समर्पित पोर्टल विकसित किया है. यह क्विज 7 दिसंबर को आयोजित होगी. चयनित विद्यार्थी तमिल भाषा सीखने के साथ-साथ सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के विभिन्न स्थलों और संस्थानों का भी भ्रमण करेंगे.
इसके अतिरिक्त, काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सयाजीराव गायकवाड़ केंद्रीय पुस्तकालय दुर्लभ पाडुलिपियों और पुस्तकों की एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित करेगा, जिसमें तमिल शिक्षण संसाधन भी प्रदर्शित किए जाएँगे. यह प्रदर्शनी 3 दिसंबर से पारंभ होगी, जो न केवल तमिलनाडु से आने वाले प्रतिनिधियों बल्कि बीएचयू के विद्यार्थियों और अध्यापकों को भी आकर्षित करेगी.
नोडल अधिकारी डॉ. अंचल श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि काशी तमिल संगमम् की तैयारियों के तहत बीएचयू और आईआईटी (बीएचयू) द्वारा वाराणसी में कई पूर्व-कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.




