
वाराणसीः आपातकाल एवं आपदाओं से निपटने के लिए पुख्ता इंतज़ाम करने के क्रम में सरकार ने अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाओं को पूरी तरह आधुनिक और विस्तारित कने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत “उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम-2022” और इसके अंतर्गत “उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा नियमावली-2024” लागू कर दी गई है. इसके तहत अब अग्निशमन प्रक्षेत्र वाराणसी जोन के प्रभारी संयुक्त निदेशक (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समकक्ष) स्तर के अधिकारी होंगे, जो जोन के जिलों का पर्यवेक्षण करेंगे. इनके नियंत्रण में एक स्पेशली ट्रेंड रेस्क्यू ग्रुप कार्य करेगा जिसमें प्रशिक्षित फायरमैन, चालक व अधिकारी शामिल रहेंगे, जो आपात स्थिति में फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में कार्य करेंगे.

जनपद प्रभारी के अलावा दो उपप्रभारी देखेंगे काशी विश्वनाथ मंदिरल ग्रामीण क्षेत्र
इस संबंध में बनारस के मुख्य अग्निशमन अधिकारी आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि नए ढांचे के अंतर्गत जनपद प्रभारी उप निदेशक (पुलिस अधीक्षक समकक्ष), वरिष्ठ मुख्य अग्निशमन अधिकारी (अपर पुलिस अधीक्षक समकक्ष), तथा दो मुख्य अग्निशमन अधिकारी (पुलिस उपाधीक्षक समकक्ष) पदों का सृजन किया गया है. इनमें एक अधिकारी अग्निशमन उप जिला ग्रामीण के प्रभारी होंगे जबकि दूसरे को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर फायर सर्विस की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. योगी सरकार विभाग का पुनर्गठन करते हुए नवीन पदों के सृजन की सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है जिसमें पुलिस विभाग के समकक्ष नए वरिष्ठ पदों का सृजन किया जा रहा है.
नई चुनौतियों का सामने अपर्याप्त साबित हो रही थी मौजूदा संसाधन व बल
सीएफओ ने जानकारी दी कि आज़ादी के ज़माने में बना 1944 का अधिनियम वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं था. मौजूदा संसाधन केवल लकड़ी, कपड़ा, तेल जैसी सामान्य ज्वलनशील सामग्रियों से लगने वाली आग को ध्यान में रखकर बनाया गया था। स्वतंत्रता के बाद प्रदेश में तेजी से हो रहे विकास बहुमंजिला इमारतें, मॉल, मल्टीप्लेक्स, बड़े अस्पताल, औद्योगिक इकाइयां और पेट्रोकेमिकल्स का तेजी से विस्तार हुआ. इसके चलते पुराने कानून और पद सृजन की व्यवस्था इन नई चुनौतियों का सामने अपर्याप्त साबित हो रही थी. अब उत्तर प्रदेश की अग्निशमन सेवा न केवल आग बुझाने बल्कि बड़े पैमाने पर रेस्क्यू, केमिकल-बायोलॉजिकल दुर्घटना प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है.
काशी धाम में है अत्याधुनिक उपकरण
सीएफओ आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर में 1.45 लाख लीटर क्षमता का वाटर टैंक, ऑटोमेटिक जॉकी, इलेक्ट्रिकल और डीजल पंप सिस्टम, 96 फायर हाइड्रेंट, 494 स्मोक डिटेक्टर, 46 हीट डिटेक्टर, और 224 फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं. 50,280 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले धाम में मुमुक्षु भवन, गेस्ट हाउस, म्यूजियम, लाइब्रेरी और जलपान गृह जैसी कई इमारतें हैं, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं.




