कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट का अहम किरदार बर्खास्त सिपाही लखनऊ से गिरफ्तार, एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई

वाराणसी: प्रतिबंधिक कोडीन युक्त कफ सिरप तस्करी सिंडीकेट में अहम किरदार निभाने वाला बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह मंगलवार की सुबह यूपी स्पेशल टास्क फोर्स के हत्थे चढ गया. उसे लखनऊ के सुल्तानपुर रोड स्थित उसके घर के पास से गिरफ्तार किया गया है. आलोक सिंह पूर्व सांसद एवं पूर्वांचल के बाहुबली धनंजय सिंह का करीबी बताया जा रहा है. एसटीएफ की टीम उससे पूछताछ कर रही है. तस्करी सिंडिकेट के अमित सिंह टाटा, भोला जायसवाल के बाद यह तीसरी बड़ी गिरफ्तारी है. पूछताछ में कई बड़े नाम उजागर हो सकते हैं.
एसटीएफ ने आलोक सिंह के खिलाफ सोमवार को लुक आउट सर्कुलर जारी करने की कवायद की थी, हालांकि उसे 24 घंटे के भीतर ही दबोच लिया गया. उसने राजधानी की एक अदालत में चार दिन पहले आत्मसमर्पण करने की अर्जी भी दी थी. सूत्रों की माने तो बर्खास्त सिपाही की पहुंच के चलते पुलिस और जांच एजेंसियां उस पर हाथ डालने से कतरा रही थीं. हालांकि सिंडिकेट के सुर्खियों में आने के बाद एसटीएफ ने उस पर शिकंजा कस दिया.

बर्खास्त सिपाही की दो फर्मों का नाम आया सामने
बर्खास्त सिपाही आलोक बीते कुछ सालों में तेजी से संपत्तियां खरीद रहा था. कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट में आलोक की दो फर्मों का नाम आया है. साथ ही एक बाहुबली के संरक्षण में वह कफ सीरप गिरोह के मास्टर माइंड शुभम जायसवाल और अमित सिंह टाटा के साथ मिलकर काम कर रहा था. फर्मों का नाम आने के बाद आलोक सिंह अंडरग्राउंड हो गया था. सोमवार को एसटीएफ ने उसकी गिरफ्तारी के लिए पूर्वांचल के कई स्थानों पर छापेमारी की, लेकिन वह एसटीएफ के हाथ नहीं लगा था. कुछ समय के लिए उसकी लोकेशन जौनपुर के एक बाहुबली के घर के पास जरूर आई थी. बाहुबली के संरक्षण में आने के बाद आलोक ने कुछ ही वर्षों में कफ सीरप की तस्करी से मोटी कमाई की थी.
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, तस्करी सिंडिकेट में असम की तीन कंपनियों की जानकारी मिली है. कफ सिरप की तस्करी 173 फर्मों को फर्जी सप्लाई दिखाकर की गई. आरोपियों पर गैंगस्टर लगाकर संपत्तियां जब्त करने की भी तैयारी शुरू कर दी गई है. इस केस से सरगना शुभम के पिता भोला जायसवाल के सोनभद्र आने के बाद अहम खुलासे होने की उम्मीद है. कोलकाता नगर निगम अस्पताल ने भोला जायसवाल को हायर सेंटर रेफर किया है. सोनभद्र पुलिस ने कोलकाता कोर्ट में भोला जायसवाल को ट्रांजिट रिमांड पर लाने की अर्जी डाली है. इस मामले में एफएसडीए अब तक 98 एफआईआर दर्ज करा चुकी है. इनमें से कई फर्जी फर्म हैं. एसटीएफ और कई जिलों की पुलिस ने भी करीब एक दर्जन एफआईआर दर्ज कराई हैं.
ईडी ने शुरू की जांच, तस्करी का कारोबार दो हजार करोड़ से अधिक का
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बहुचर्चित कफ सीरप मामले की जांच शुरू कर दी है. इसके लिए ईडी ने रिकार्ड खंगालने के साथ जांच में जुटी अन्य एजेंसियों से सारी जानकारी जुटा ली है. ईडी की प्रारम्भिक जांच में यह बात सामने आइ है कि अवैध कफ सीरप की तस्करी का कारोबार दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था.
इस कारोबार में कई सफेदपोश लोग भी शामिल थे. ईडी ने इस मामले की जांच के लिए दो टीमों का गठन किया है. एक टीम कफ सीरप की तस्करी में बरते गए वित्तीय प्रणाली की जांच कर रही है. वहीं दूसरी टीम एसटीएफ सहित अन्य राज्यों की जांच एजेंसियों के साथ संपर्क में रहकर जांच को आगे बढ़ा रही है. कफ सिरप प्रकरण में अब तक दर्ज एफआईआर पर ईडी की जांच आगे बढ रही हे. सूत्रों का कहना है कि फर्जी फर्मों के जरिए करोड़ों की मनी लाॉन्ड्रिंग का संदेह है. पूरा मामला बीते चार सालों में अरबों रुपए का कफ सिरप तस्करी के जरिए बांग्लादेश में बेचने का है. फर्जी फर्मों में बिक्री दिखाकर कफ सिरप बांग्लादेश भेजी गई.
शुभम के पिता भोला प्रसाद की मिली ट्रांजिट रिमांड
कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल के पिता भोला जायसवाल की ट्रांजिट रिमांड सोनभद्र पुलिस को मिल गई है. भोला को कोलकाता से सोनभद्र लाया जा रहा है. भोला जायसवाल से पूछताछ के बाद सिंडिकेट से जुड़े लोगों की जानकारी मिल सकती है. बता दें कि भोला जायसवाल को सोनभद्र पुलिस ने कोलकाता एयरपोर्ट से पिछले दिनों गिरफ्तार कर लिया था. ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद पुलिस पूछताछ की तैयारी में लगी हुई है जिसके बाद इस सिंडिकेट के तार खुलने लगेंगे.

भगोड़े शुभम के प्रत्यर्पण की तैयारी
कोडिन युक्त कफ सिरप तस्करी के मुख्य आरोपित शुभम जायसवाल को भगोड़ा और रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारी में कमिश्नरेट पुलिस है. पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने बताया कि भगौड़ा घोषित कराने के लिए कमिश्नरेट पुलिस की ओर से कोर्ट में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसी प्ररिप्रेक्ष्य मेंअभियोजन अधिकारियों से सीपी ने वार्ता की. शैली ट्रेडर्स के कर्ता धर्ता और 100 करोड़ के अवैध कारोबार के आरोपी शुभम की लोकेशन दुबई में मिली है. दुबई से शुभम के प्रत्यर्पण को लेकर प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और एनडीपीएस एक्ट में वांछित शुभम की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की अलग-अलग पांच टीमें काम कर रही हैं. कमिश्नरेट की एसआईटी के अलावा अन्य एजेंसियां भी लगी हुई हैं.
बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच, पांच टीमें गठित
पिछले दो साल से चल रहे कफ सिरप के अवैध कारोबार की भनक कहीं न कहीं बैंक अधिकारियों को भी थी. बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच एसआईटी कर रही है. फर्जी फर्म के बैंक खातों की जांच और बैंक अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने, बिलिंग, एग्रीमेंट और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं. सोमवार को एसआईटी ने फर्जी फर्मों के नाम पर खुले बैंक खातों की जांच की. पता चला कि बैंक अधिकारियों को आरोपित फर्म के खातों में आने वाली रकम के बारे में पूरी जानकारी थी. ऐसे बैंकों के शाखा प्रबंधकों को भी एसआईटी नोटिस जारी करेगी.
एसआईटी के अध्यक्ष एडीसीपी सरवणन टी. ने बताया कि बैंकों की भूमिका, दस्तावेज, गिरफ्तारी, साइबर के लिए अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं. प्राथमिकी में फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और एनडीपीएस की धाराएं बढ़ाई गई हैं. अधिकतर फर्में ऐसी पाई गई है, जो कि एफिडेविट और रेंट एग्रीमेंट के आधार पर चल रही थीं। सिरप खरीदे गए, लेकिन किसको बेचे गए, यह दर्ज नहीं है. फर्म संचालकों को अपना पक्ष रखने के लिए एसआईटी की ओर से जारी नोटिस का अधिकतर फर्म संचालकों ने जवाब नहीं दिया और न ही एसआईटी के सामने दस्तावेज प्रस्तुत किए. जांच में यह भी सामने आया कि फर्म संचालकों ने कफ सिरप तो खरीदी, लेकिन बिक्री का लेखाजोखा नहीं दिखा सके.

लोकसभा में सांसद ने उठाया कफ सिरप का मुद्दा
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लोकसभा में सोमवार को चंदौली सांसद वीरेंद्र सिंह ने नियम 377 के अंतर्गत विशेष उल्लेख कर देशभर में फैले नकली दवाओं के अवैध कारोबार पर गंभीर सवाल उठाए. सांसद ने कहा कि यह संगठित अपराध अब लाखों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है और इसके पीछे बड़े माफिया गिरोह के साथ-साथ “सफेदपोश” लोगों का संरक्षण होने की आशंका है. सांसद ने वाराणसी में हाल ही में बरामद हुए 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के नकली कफ सिरप का मामला उठाते हुए कहा कि इतने बड़े रैकेट के बावजूद अब तक कोई बड़ा सरगना या मास्टरमाइंड गिरफ्तार नहीं हुआ है. उन्होंने इसे “गंभीर चिंता और संदेह का विषय” बताया और आशंका जताई कि प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच को दबाया या भटकाया जा रहा है; सांसद ने चेतावनी दी कि यदि इस काले कारोबार पर सख्ती से लगाम नहीं लगाई गई तो आम जनता का स्वास्थ्य गंभीर खतरे में रहेगा.





