वाराणसी : सामाजिक न्याय की अवधारणा भारत मे अनादि काल से रही है लेकिन विदेशी आक्रांताओं ने पिछले एक हजार वर्षों में इस अवधारणा को धर्म और जाति आधारित बनाने का प्रयास किया . जबकि सत्यता यह है कि भारतीय परंपरा में सामाजिक न्याय कभी जाति आधारित रहा ही नही, बल्कि यह हमेशा व्यक्ति आधारित रहा है . उक्त विचार शहर दक्षिणी के विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. नीलकण्ठ तिवारी ने सोमवार को डीएवी पीजी कॉलेज में सामाजिक न्याय के पुरोधा एवं पूर्व प्रबंधक रहे डीएवी पीजी कॉलेज .
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पीएन सिंह यादव की पुण्यतिथि पर आयोजित ’सामाजिक न्याय और समावेशी नीतियों की अवधारणा’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये . डॉ. नीलकण्ठ तिवारी ने कहा कि स्व. पीएन सिंह यादव का सामाजिक न्याय सबके उत्थान के लिए रहा, सबको एक समान अवसर मिले यही असली सामाजिक न्याय है . व्यक्ति के विकास की अवधारणा से ही से परिवार का, समाज का और देश का विकास संभव हो सकता है .
विशिष्ट वक्तव्य देते हुए महाविद्यालय के प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने कहा कि स्व. बाबू जी की सामाजिक न्याय की लड़ाई तभी सफल मानी जायेगी जब जातिगत भावना से परे सबको एक साथ जोड़ कर रखा जाए . खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने की जरूरत है जिससे की हर वर्ग के निम्नतम स्तर के लोगों को भी अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी . अध्यक्षता करते हुए कार्यवाहक प्राचार्य प्रो.मिश्रीलाल ने कहा कि कुछ लोग अपने लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए सदा सदा के लिए अमर हो जाते है, स्व.पीएन सिंह यादव सबको साथ लेकर चलने वाले व्यक्तित्व के महापुरुष थे .
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इससे पूर्व अतिथियों ने स्व. पीएन सिंह जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर संवेदना प्रकट की . पाणिनि कन्या की छात्राओं ने वेद पाठ किया . विषय स्थापना आइक्यूएसी की समन्वयक डॉ. पारुल जैन, संचालन डॉ. दीपक कुमार शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन उपाचार्य प्रो. संगीता जैन ने दिया .
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष रतनलाल, पाणिनी कन्या महाविद्यालय की उपाचार्य डॉ. प्रीति विमर्शिनी, चीफ प्रॉक्टर डॉ. संजय कुमार सिंह, प्रो. ऋचारानी यादव, प्रो.प्रशांत कश्यप, प्रो. विजयनाथ दुबे, प्रो. मीनू लाकड़ा सहित समस्त विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक,कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं शामिल रहे .