
वाराणसी - श्री रामचरितमानस नवाह्न पाठ महायज्ञ समिति की ओर से नौ दिवसीय रामायण महायज्ञ का शुभारंभ हुआ. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के सरस्वती फाटक गेट नंबर दो के पास सुबह नौ बजे 111 ब्राह्मणों ने संकल्प कर पूजा और हवन के साथ महायज्ञ के लिए राम दरबार मूर्ति स्थापना कराई. 70 वर्षों से बाबा विश्वनाथ को रामायण सुनाने की परंपरा के अनुसार अनुष्ठान की शुरुआत हुई.
मुख्य यजमान अशोक अग्रवाल, मुख्य अतिथि सीआरपीएफ कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकर, अध्यक्ष कौशल शर्मा, योगीराज विजय कुमार मिश्रा, मनीष मोरोलिया, प्रचार मंत्री सुरेश तुलस्यान ने संयुक्त रूप से राम दरबार की पूजा अर्चना कर महायज्ञ का शुभारंभ किया. श्रीरामचरितमानस नवाह्न पाठ महायज्ञ समिति के अध्यक्ष कौशल शर्मा ने बताया कि यह महायज्ञ विगत 70 साल से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के छठ से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली तक होता है. राम जी को छप्पन भोग लगाया जाता है. विदाई शोभायात्रा के रूप में की जाती है. स्वागत राजकुमार कोठारी, अशोक कोठारी, रघुदेव अग्रवाल, विश्वनाथ पोद्दार, महेंद्र शर्मा ने किया.
धाम में पूजे गए शिव के पुत्र कार्तिकेय
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) की पूजा-अर्चना की गई. श्रद्धालुओं ने भगवान कार्तिकेय से परिवार, समाज और राष्ट्र की मंगलकामना की. बीते साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (11 नवंबर 2024) को धाम में विशिष्ट आयोजन संपन्न हुए थे. 2024 से संकल्पित सनातन पर्वों को उत्सवपूर्वक मनाने की शुरूआत हुई थी। इसमें स्कंद षष्ठी को भी शामिल किया गया था.




