
वाराणसी- रबी अभियान को सफल बनाए जाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को समय से सरसों, चना, मटर एवं गेहूं का बीज अनुदान पर विगत वर्ष की भांति इस साल भी जनपद के सभी आठ राजकीय कृषि बीज गोदाम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं. साथ ही उच्च गुणवत्ता का बीज तथा अनुदान का लाभ अधिक से अधिक किसानो को प्राप्त हो सके इसके लिए इस बार 8 राजकीय कृषि बीज गोदाम के अतिरिक्त अन्य संस्थाओं के तीन केंद्रों क्रमशः उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम-चांदपुर चौराहा (कलेक्ट्रीफार्म), राष्ट्रीय बीज निगम, रामनगर (इंडस्ट्रीयल एरिया) तथा राष्ट्रीय बीज निगम, कैलगढ़ मार्केट जगतगंज (निकट-साहू ब्रदर्स, जगतगंज) से भी गेहूं, चना, मटर एवं सरसों का बीज अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है.

समय से बीज प्राप्त करके 15 नवंबर तक गेहूं की बुवाई कर ले
जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने उक्त जानकारी देते हुए जनपद के सभी किसानो से अपील की है कि वर्तमान समय सरसों, चना एवं मटर की बुवाई का सबसे उपयुक्त चल रहा है. अधिक उत्पादन प्राप्त किए जाने हेतु किसी भी तरह का विलंब किए बगैर अपने विकास खंड के राजकीय बीज गोदाम से अथवा उक्त तीन केंद्र जो अन्य संस्थाओं के है. उनसे अनुदान पर बीज प्राप्त करके समय से बुवाई सुनिश्चित कर लें. विलंब से बुवाई की दशा सरसों की फसल में रोग, कीट एवं पाले के प्रकोप होने के कारण उत्पादन कम होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसी तरह से चना एवम मटर के भी उत्पादन प्रभावित होने की संभावना रहती है. उन्होंने बताया कि गेहूं का बीज भी जनपद के सभी केंद्रों पर अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है और जिन किसान भाइयों को गेहूं की बुवाई करना है उसमें भी विलंब न करें और अपने राजकीय कृषि बीज गोदाम से बीज प्राप्त करके 15 नवंबर तक गेहूं की बुवाई भी कर ले.

सरसों की खेती करनी है तो करें एनपीएस का प्रयोग
गेहूं की बुवाई में विलंब करने से आगे चलकर तापमान ज्यादा हो जाने के कारण दाने पतले हो जाते हैं और उत्पादन में भारी गिरावट आती है. जिन किसानो को सरसों की खेती करनी है उनको मेरी सलाह हैं कि उर्वरक के रूप में एनपीएस का प्रयोग करें इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस के साथ सल्फर भी पाया जाता है इससे सरसों की फसल का उत्पादन एवं तेल की मात्रा बढ़ जाती है. एनपीएस उर्वरक जनपद के समस्त सहकारी समितियों एवं निजी केदो पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है किसान भाई अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी केंद्र से पास मशीन में अंगूठा लगाकर उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं साथ ही जनपद में पर्याप्त मात्रा में यूरिया एवं डीएपी भी उपलब्ध है किसी भी क्षेत्र में किसी भी उर्वरक की कोई कमी नहीं है.




