वाराणसी : धार्मिक नगरी काशी का माहौल शनिवार की आधी रात से ही श्रद्धा और आस्था में डूब गया . लक्ष्मीकुंड स्थित महालक्ष्मी मंदिर में रत्न-जड़ित दरबार में जब भक्तों की भीड़ रविवार की सुबह उमड़ी तो पूरा परिसर ‘श्रीसूक्त’ और स्वर्णाकर्षण मंत्रों की गूंज से पावन हो उठा . इसी आस्था के बीच आरंभ हुआ काशी का प्रसिद्ध सोरहिया मेला, जो 16 दिनों तक चलेगा .
माता महालक्ष्मी के दरबार में उमड़ा जनसैलाब
इसके पूर्व शनिवार की आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु महालक्ष्मी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचने लगे . रविवार की सुबह भोर होते ही मंदिर के गर्भगृह में मां सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के मुखौटे सजाए गए. भोग और पूजन-अर्चन के बाद महालक्ष्मी विग्रह की आरती उतारी गई . इसक साथ ही आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए . दिनभर दर्शन-पूजन का क्रम चलता रहा और माहौल देवी भक्ति से सराबोर हो गया .
16 गांठ का धागा और व्रत का संकल्प
श्रद्धा से लबरेज महिलाओं ने माता महालक्ष्मी के चरणों में 16 गांठ का धागा अर्पित कर 16 दिन तक व्रत और अनुष्ठान करने का संकल्प लिया . इस व्रत में 16 आचमन, देवी की 16 परिक्रमा, 16 चावल के दाने, दूर्वा, पल्लव और कमल पुष्प अर्पित करने की परंपरा है . कथा पाठ में भी 16 शब्दों का महत्व बताया गया है . पुजारी गणेश उपाध्याय के अनुसार, इस व्रत का समापन 16वें दिन जीवित्पुत्रिका के निर्जला व्रत के साथ होता है . मान्यता है कि सोरहिया मेला घर में सुख-शांति, आरोग्य, संतान-सुख और स्थिर लक्ष्मी का वास कराता है .
प्राचीन कथा से जुड़ी मान्यता
लोककथा के अनुसार, प्राचीन काल में महाराजा जिउत संतानहीन थे . मां लक्ष्मी की कठोर तपस्या और सोलह दिन के व्रत से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें संतान का सुख प्रदान किया . तभी से इस व्रत की परंपरा चली आ रही है . इसी कारण आज भी महिलाएं पहले दिन धागा पूजकर दाहिने हाथ में बांधती हैं और पूरे 16 दिन व्रत रखती हैं .
लक्ष्मी की मूर्ति और डलिया की जमकर खरीद
लक्ष्मीकुंड पर लगे मेले में मिट्टी की बनी लक्ष्मी जी की मूर्तियां और बांस की डलिया श्रद्धालुओं ने उत्साह से खरीदीं . महिलाएं मूर्ति को घर ले जाकर धागा लपेटकर 16 दिन तक पूजन-अर्चन करेंगी। 16वें दिन जीवित्पुत्रिका व्रत के साथ पूजा का समापन होगा .
काशी का यह सोरहिया मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह विश्वास भी जगाता है कि माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन में ऐश्वर्य, समृद्धि और संतान सुख का आगमन निश्चित है.