
वाराणसी – महादेव की नगरी काशी में शारदीय नवरात्र 2025 की शुरुआत आस्था और श्रद्धा के रंगों के साथ हुई. देवी मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु हाथों में नारियल और फूल माला लेकर माता के चरणों में हाजिरी लगाने पहुंचे.
नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है. वाराणसी के अलईपुरा स्थित शैलपुत्री मंदिर में इस अवसर पर बडी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंजता रहा. इस दौरान सुरक्षा को देखते हुए बडी संख्याा में फोर्स की तैनाती की गई है. महिला पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं.
जगदम्बा मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में अवतरित हुई थीं. कालांतर में यही स्वरूप पार्वती के नाम से भगवान शंकर की अर्धांगिनी बनीं. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से यश, कीर्ति, धन और विद्या की प्राप्ति होती है. भक्तों का विश्वास है कि इनकी आराधना मात्र से मोक्ष की प्राप्ति संभव है.

काशी में शक्ति पूजन उतने ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है जितना शिव पूजन. इस बार नवरात्र दस दिन का है. इन दिनों तक पूरी नगरी भक्तिमय वातावरण में डूबी रहती है. हर गली, हर मोहल्ला और हर मंदिर “जय माता दी” के उद्घोष से गूंज उठता है. साथ ही बंगाल का भी रंग शहर में उतरने लगा है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन की यह छटा वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी जीवंत कर देती है.




