
वाराणसी - आरपीएफ की टीम ने मंगलवार को द्वारिका एक्सप्रेस में तस्करों के चंगुल से बाल मजदूरी कराने के लिए ले जाए जा रहे 5 बच्चों को मुक्त कराया. एक युवती सहित तीन लोगों को कैंट स्टेशन पर हिरासत में ले लिया गया, जो बच्चों के बचपन को मजदूरी के दलदल में फंसाने ले जा रहे थे. इस दौरान
मौके पर पहुंची पुलिस कमिश्नरेट की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट तस्करों से पूछताछ कर रही है. आरपीएफ इंस्पेक्टर संदीप यादव के अनुसार उन्हें गोहाटी से ओखा जाने वाली गाड़ी संख्या - 15636 द्वारिका एक्सप्रेस मे बच्चों के तस्करी की आशंका काफी दिनों से थी.
जनरल कंपार्टमेंट में मिली कामयाबी
इसके मद्देनजर ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते की टीम को ट्रेनों में चेकिंग का निर्देश दिया गया था. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन - वाराणसी सेक्शन में उनकी टीम द्वारिका एक्सप्रेस के पिछले जनरल कंपार्टमेंट की जांच कर रही थी. यहां अलग - अलग समूह में 15 बच्चे दिखाई दिए. ट्रेन कैंट स्टेशन स्थित प्लेटफार्म नंबर आठ पर पहुंची तो पहले से मौजूद आरपीएफ के जवानों ने बच्चे और तस्करों को नीचे उतार लिया.
तस्करी में युवती भी शामिल
तस्करों के चंगुल से मुक्त बच्चों में छह साल की बच्ची भी शामिल है. 10 बच्चों को साथ ले जा रही गाजीपुर के दिलदार नगर की रहने वाली तस्कर सीमा ने बताया कि वह बच्ची को उसकी मां से मिलवाने तथा शेष बच्चों को गुजरात के राजकोट में एक कंपनी में नौकरी दिलाने ले जा रही थी. बिहार के बक्सर निवासी सुरेन्द्र राय नामक व्यक्ति ने बताया कि वह अपने एक रिश्तेदार के बच्चे को राजकोट ले जा रहा था. वहीं, आसाम स्थित तिनसुकिया का रहने वाला मोंतोस मुंडा अपने साथ चार बच्चों को अहमदाबाद के किसी फैक्ट्री में काम दिलाने जा रहा था.




