
वाराणसी - काशी तमिल संगमम 4.0 के प्री-इवेंट उत्सवों की श्रंखला में गुरुवार को शहर के दो प्रमुख मॉल—आई.पी. मॉल, सिगरा और जे.एच.वी. मॉल, कैंट में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक भव्य फेस पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, आईआईटी मद्रास, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, तथा आईआईटी–बीएचयू के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.
कार्यक्रम में शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के 70 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लेकर अद्भुत उत्साह और प्रतिभा का प्रदर्शन किया. प्रतिभागियों ने उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत को अपने कला–कौशल के माध्यम से चेहरे पर उकेरा और “अनेकता में एकता” की भावना को खूबसूरती से व्यक्त किया. यह थीम काशी तमिल संगमम की मूल अवधारणा—दो प्राचीन सांस्कृतिक ध्रुवों के मिलन—को बखूबी दर्शाती है.

मुख्य आयोजन 2 से 15 दिसंबर को नवघाट पर
प्रतियोगिता काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत आयोजित प्री-इवेंट उत्सवों का हिस्सा है, जबकि इसका मुख्य आयोजन 2 से 15 दिसंबर 2025 तक नमोघाट पर शानदार ढंग से आयोजित होगा. इस समारोह में देशभर से आने वाले सहभागी काशी और तमिल संस्कृति के अनूठे संगम का अनुभव करेंगे.
प्रतियोगिता में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, धीरेन्द्र महिला पीजी कॉलेज, जीवनदीप पीजी कॉलेज सहित कई संस्थानों के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. प्रतियोगिता स्थल पर युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा और कला के प्रति उत्साह देखने लायक था. कार्यक्रम में बीएचयू के म्यूज़िकी क्लब के छात्रों द्वारा प्रस्तुत भक्तिमय संगीत ने पूरे आयोजन को और भी खुशनुमा और सामंजस्यपूर्ण बना दिया. संगीत और कला के इस संगम ने मॉल में मौजूद दर्शकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया.
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जूरी ने सराही कलात्मक अभिव्यक्तियाँ
फेस पेंटिंग प्रतियोगिता में जूरी के रूप में मूर्तिकला विभाग के साहब राम टुडू और बीएचयू महिला महाविद्यालय के चित्रकला विभाग की जयंती मण्डी उपस्थित रहीं. दोनों ने विद्यार्थियों की कृतियों की सराहना करते हुए कहा कि इन कलात्मक प्रस्तुतियों में काशी और तमिलनाडु के बीच पिछले तीन वर्षों में मजबूत हुए सांस्कृतिक सेतु की झलक मिलती है.
इस आयोजन की विस्तृत जानकारी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी प्रो. अंचल श्रीवास्तव ने दी. कार्यक्रम में दृश्य कला संकाय के प्रो. मनीष अरोरा (संयोजक), सृष्टि प्रजापति (सह–संयोजक) और विजय भगत (समन्वयक, चित्रकला विभाग) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.




