वाराणसीः पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्क्रब टाइफस नामक संक्रामक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए स्वास्थ्य कर्मियों को सतर्कता बरतने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज की व्यवस्था चुस्त- दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रब टाइफस के शुरूआती लक्षण के बारे में जान लेना आवश्यक है. यह साधारण बुखार जैसे लग सकते हैं जिसे अनदेखा न करें. यह संक्रमण सभी वर्गों को प्रभावित कर रहा हैं खासतौर पर बच्चों में इसका असर तेजी से बढ़ता दिखाई दे रहा हैं. ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया की वजह से यह बीमारी होती है. मुख्य रूप से चिगर नामक छोटे कीट (जो घास या झाड़ियों में मिलते हैं) के काटने से यह बीमारी फैलती है.
बीएचयू के जनरल मेडिसिन विभाग के प्रो. दीपक कुमार गौतम बताते हैं कि यह बीमारी मानव शरीर में उस समय प्रवेश करती है, जब कोई व्यक्ति ऐसे इलाके में जाता है जहां संक्रमित चिगर माइट्स होते हैं. ये माइट्स शरीर के जस हिस्से पर काटते हैं उस स्थान पर एक छोटी सी फुंसी या घाव बन जाता है. स्क्रब टाइफस के लक्षण आम तौर पर माइट्स के काटने के छह से 21 दिनों बाद दिखने लगते हैं. इनमें तेज बुखार ,ठंड लगना, सिरदर्द, शरीर में दर्द और थकान, खांसी, उल्टी, त्वचा पर दाने और गांठें शामिल हैं. काटे गए स्थान पर काले रंग की पपड़ी बन जाती है. इसका असर फेफड़ा, किडनी , मस्तिष्क और हृदय पर भी पड़ता है.
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में पिछले साल इस बीमारी के 2482 मामलों में 460 केस पॉजिटिव पाए गए थे वहीं इस बार सिर्फ जनवरी से जुलाई तक 2012 मरीजों की जांच में 98 पॉजिटिव मरीज़ इस बीमारी के पाए गए.
डाक्टरों की माने तो बारिश और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी स्क्रब टाइफस ने अपने पैर पसारे. पूर्वांचल के 27 जिलों के अलावा बिहार , झारखंड, मध्य प्रदेश व बंगाल के अलावा नेपाल में भी इस बीमारी के मामले पाए गए.