
वाराणसी - महादेव की नगरी काशी के अन्नपूर्णा मंदिर में सोमवार से मां अन्नपूर्णा का 17 दिन का महाव्रत शुरू हो गया है. जिसमें आज भक्तों को 17 गांठ का धागा दिया गया है. मां अन्नपूर्णा का 17 दिनों का व्रत श्री संवत 2082 मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 10 नवंबर सोमवार से प्रारम्भ हुआ है. व्रत का उद्यापन (समापन) माता धान का श्रृंगार संवत 2082 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि 26 नवम्बर को होगा. 17 दिनों तक भक्त नियमित रूप से मां अन्नपूर्णा की पूजा करेंगे और कथा सुनेंगे. 17 दिनों का व्रत रखने के बाद मां की परिक्रमा करके सुख-समृद्धि की कामना करेंगे. इस व्रत के पहले दिन श्रद्धालुओं ने मंदिर के महंत शंकर पुरी के हाथों से पूजन के लिए 17 गांठ का धागा ग्रहण किया.

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धान की बालियों से मां का श्रृंगार
इस दिन मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है जो धान की बालियों से होता है. पूर्वांचल के किसान अपनी धान की पहली फसल बालियों के रूप में लाकर मां के चरणों में अर्पित करते हैं. जिसके बाद उससे ही पूरे मंदिर परिसर और मां के भवन को सजाया जाता है. महंत ने बताया कि इस महाव्रत में 17 घाट के धागे भक्तों को दिए जाते हैं और इसे वह धारण करते हैं. इसमें महिलाएं बाएं और पुरुष दाहिने हाथ में इसे पहनते हैं. इसमें अन्न का सेवन वर्जित होता है. बिना नमक का केवल एक वक्त फलाहार किया जाता है.
उन्होंने बताया कि 17 दिनों तक चलने वाला ये अनुष्ठान बेहद महत्वपूर्ण होता है. प्रसाद स्वरूप धान की बाली, धाम में भक्तों को अंतिम दिन अनुष्ठान के बाद वितरित की जाती है. ये व्रत दैविक-भौतिक सुख प्रदान करता है और कभी भी धन वैभव और ऐश्वर्या की कमी नहीं होती है.




