वाराणसी: बड़ागांव के खरावन में मुर्दाहजन विकास समिति की ओर से ‘लिंग और न्याय पर महिलाओं एवं किशोरियों का क्षमता निर्माण’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया.हर साल 26 अगस्त को राष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाया जाता है. इसी परिप्रेक्ष्य् में इसका आयोजन हुआ.
विदेशों से उठी महिला समानता की गूंज
1920 में इसी दिन अमेरिकी कांग्रेस ने संविधान में 19वां संशोधन पारित कर महिलाओं को पूर्ण और समान मताधिकार प्रदान किया था.
महिला अधिकार आंदोलन की नींव
1840 में लंदन में हुए विश्व दासता विरोधी सम्मेलन में महिलाओं को प्रवेश से वंचित कर दिया गया था इसी से महिला अधिकार आंदोलन की शुरुआत हुई. ल्यूक्रेटिया मॉट और एलिज़ाबेथ कैडी स्टैंटन ने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर सेनेका फॉल्स (न्यूयॉर्क) में 1848 का पहला महिला अधिकार सम्मेलन आयोजित किया.
सम्मेलन में 12 प्रस्ताव पेश किए गए, जिनमें से 9वां प्रस्ताव महिलाओं के मतदान अधिकार से जुड़ा था. लंबी बहस और फ्रेडरिक डगलस के समर्थन से यह प्रस्ताव भी पारित हुआ.
मतदान अधिकार की लड़ाई
1869 में सुसान बी. एंथनी और स्टैंटन ने मिलकर राष्ट्रीय महिला मताधिकार संघ (NWSA) की स्थापना की.
1878 में संशोधन पेश हुआ लेकिन 1886 तक यह पारित नहीं हो पाया.
लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार 1920 में 19वां संशोधन पारित कर महिलाओं को समान मतदान का अधिकार मिल गया.
महिला समानता दिवस का इतिहास
1971 में प्रतिनिधि बेला अब्ज़ुग ने 26 अगस्त को महिला समानता दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा.
1973 से हर साल 26 अगस्त को इसे आधिकारिक रूप से मनाया जाने लगा.
हर राष्ट्रपति इस दिन को 19वें संशोधन की याद में महिला समानता दिवस घोषित करता है.
समान अधिकार संशोधन
1. किसी भी व्यक्ति को लिंग के आधार पर कानून द्वारा समान अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा.
2. कांग्रेस को इसे लागू करने के लिए कानून बनाने का अधिकार होगा.
3. संशोधन की पुष्टि के दो साल बाद यह प्रभावी होगा.
हालाँकि, 1972 में सीनेट से पारित होने के बाद भी इसे राज्यों की आवश्यक संख्या से मंजूरी नहीं मिल पाई है.
बड़ागांव में सेमिनार: लिंग और न्याय पर चर्चा
प्रशिक्षिका रेखा उपाध्याय ने कहा कि –
“लिंग आधारित भेदभाव किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं है.”
कार्यक्रम में मंजू देवी, मुमताज, नीतू, सुरेखा, इंद्रजीत, पूर्णिमा सहित कई प्रतिभागी उपस्थित रहीं. यह खबर सामाजिक संदेश देती है कि समानता केवल अधिकार नहीं बल्कि कर्तव्य भी है.